लोगो के बैंक अकाउंट नहीं हैं सुरक्षित , बसाहने के लिए सरकार की बड़ी प्लानिंग

सोशल मीडिया के माध्यम से हैकर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं। वहीं देखा जाए तो लोगों के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिये भी पैसे निकल रहे हैं। आज के समय में अधिकतर लोग ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल अधिक से अधिक करते हैं। लेकिन वहीं ये ऑनलाइन पेमेंट आपके लिए खतरनाक भी साबित हो सकता हैं।

लोगों के बैंक अकाउंट नहीं हैं सुरक्षित , बचाने के लिए सरकार की बड़ी प्लानिंग

 

खबरों की माने तो बीते महीने तमिलनाडु स्थित भारत के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र कोडनकुलम में हुए साइबर अटैक ने सुर्खियां बटोरी थीं। इस खबर के फैलने के बाद इस बात पर चर्चा होने लगी है कि क्या भारत किसी भी साइबर हमले के लिए पूरी तरह तैयार है, क्या वह अपने महत्वपूर्ण आधारभूत ढांचों को हानि पहुंचने वाले डिजिटल हमलों से बचा सकता है।

 

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जहां इस बहस ने एक और बड़े मुद्दे को हवा दे दी है, क्या भारत डेबिट कार्ड हैकर और दूसरे वित्तीय फ्रॉड से बचने के लिए तैयार है, क्योंकि ये भारत के करोड़ों लोगों का मुद्दा है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं कि कैसे आम लोगों के खाते से पैसे गायब किए जा रहे हैं.

बीते महीने तमिलनाडु स्थित भारत के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र कोडनकुलम में हुए साइबर अटैक ने सुर्खियां बटोरी थीं। इस खबर के फैलने के बाद इस बात पर चर्चा होने लगी है कि क्या भारत किसी भी साइबर हमले के लिए पूरी तरह तैयार है, क्या वह अपने महत्वपूर्ण आधारभूत ढांचों को हानि पहुंचने वाले डिजिटल हमलों से बचा सकता है? इस बहस ने एक और बड़े मुद्दे को हवा दे दी है, क्या भारत डेबिट कार्ड हैकर और दूसरे वित्तीय फ्रॉड से बचने के लिए तैयार है, क्योंकि ये भारत के करोड़ों लोगों का मुद्दा है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं कि कैसे आम लोगों के खाते से पैसे गायब किए जा रहे हैं.

साइबर हमलों का कितना खतरा?

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के साइबर इनिशिएटिव के प्रमुख अरुण सुकुमार ने बीबीसी को बताया, “भारत की फाइनेंशियल सिस्टम पर हमला करना आसान है क्योंकि हम अभी भी ट्रांजैक्शन के लिए स्विफ्ट जैसे इंटरनेशनल बैंकिंग नेटवर्क पर निर्भर हैं। इंटरनेशनल गेटवेज की वजह से हमला करना आसान है।” साइबर सिक्यूरिटी कंपनी सायमनटेक की एक रिपोर्ट बताती है कि ऐसे साइबर हमलों के लिए शीर्ष तीन ठिकानों में भारत एक है।

लेकिन भारत की विशाल डिजिटल आबादी को देखते हुए इसमें कमी आएगी। हर महीने फ्रांस जितनी आबादी भारत में कंप्यूटर से जुड़ रही है और यही बात सबसे बड़ी चिंता की है क्योंकि पहली बार इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों को भी डिजिटल पेमेंट करने के लिए कहा जा रहा है। उदाहरण के लिए, नवंबर 2016 में भारत सरकार ने अचानक से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट के चलन पर रोक लगा दी, यह देश में मौजूद कुल रकम का 80 प्रतिशत हिस्सा थे। इसके विकल्प के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल पेमेंट को काफी प्रमोट किया।

दरअसल भारतीय पेमेंट प्लेटफॉर्म पेटीएम हों या फिर इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म गूगल हो, दोनों का कारोबार भारत में काफी बढ़ गया है। वहीं 2023 तक भारत में मोबाइल के जरिए एक ट्रिलियन डॉलर की पेमेंट होने लगेगी। क्रेडिट और डेबिट कॉर्ड का इस्तेमाल भी काफी लोकप्रिय है। आज की तारीख में भारत में क़रीब 90 करोड़ कार्ड इस्तेमाल हो रहे हैं।

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