लेखपाल भर्ती घोटाले में अपर संचालक चकबंदी आयुक्त गिरफ्तार, चुपचाप भेजा गया जेल

रिपोर्ट-सैय्यद अबू तलहा/लखनऊ

भर्ती घोटाले में फंसे अपर चकबंदी आयुक्त को एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. शनिवार को हजरतगंज पुलिस ने भर्ती घोटाले के आरोपी सुरेश यादव को गिरफ्तार कर लिया. इसके पहले सुरेश यादव को कोर्ट से गिरफ्तारी रोक दिलाने में पुलिस ने ही मदद की थी. लेकिन जब आरोपी के मददगारों की कुर्सी खतरे में पड़ी तो राजधानी पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुकदमा दर्ज कर अपर चकबंदी आयुक्त को गिरफ्तार कर लिया.

चकबंदी आयुक्त

एक तरफ जहां मामूली बदमाशों की गिरफ्तारी पर वाहवाही लूटने वाली हजरतगंज पुलिस ने भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर चुपचाप जेल भेज दिया. इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर से लखनऊ पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं. अक्सर विवादों में रहने वाली राजधानी पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में है।

मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद लेखपाल भर्ती और कई अन्य अनियमितताओं के आरोपी रहे अपर संचालक चकबंदी सुरेश सिंह यादव को हजरतगंज पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर ही लिया. हालांकि यह कार्रवाई चकबंदी विभाग में एक फाइल का निस्तारण करने के लिये धनराशि मांगने और धमकी देने के मुकदमे में की गई है.

भर्ती घोटाले के सम्बन्ध में तीन मुकदमे हजरतगंज कोतवाली में पहले से दर्ज थे लेकिन पुलिस की हीलाहवाली के चलते आरोपी को कोर्ट से ‘स्टे मिल गया था. एएसपी पूर्वी सुरेश चन्द्र रावत के मुताबिक सुरेश सिंह यादव को परिवर्तन चौक के पास से गिरफ्तार किया गया है. सुरेश के खिलाफ गोरखपुर के कैपियरगंज निवासी योगेन्द्र कुमार ने 31 मई को देर रात आईपीसी की धारा 386, 504 और 506 के तहत एफआईआर लिखायी थी.

योगेन्द्र का आरोप था कि चकबंदी विभाग की एक पत्रावली के निस्तारण के लिये उससे धनराशि की मांग की गई. रुपये देने से मना करने पर सुरेश ने उनके साथ गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी दी. गिरफ्तार सुरेश सिंह को गुपचुप तरीके से कोर्ट में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठेसुरेश सिंह यादव की गिरफ्तारी को लेकर हजरतगंज पुलिस पर शनिवार को सवाल भी उठे. दरअसल पहले इस कार्रवाई को बेहद गोपनीय रखा गया. पर यह बात फैलने लगी तो अफसरों ने आनन फानन मीडिया को इसकी जानकारी दी. सुरेश सिंह के खिलाफ 24 अप्रैल और 25 अप्रैल को दो अलग-अलग मुकदमे हजरतगंज कोतवाली में इसी साल लिखाये गये थे.

इसमें पहला मुकदमा सुरेश सिंह यादव, संयुक्त संचालक चकबंदी रविन्द्र दुबे और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ लिखाया गया था. जबकि दूसरा मुकदमा सुरेश सिंह यादव और प्रशासनिक अधिकारी बिहारी लाल के खिलाफ दर्ज हुआ था. इन दोनों ही मामलों में पुलिस कार्रवाई से बचती रही थी. इस पर ही सवाल उठे थे कि पुलिस ने आरोपी को काफी छूट दे रखी थी जिसका फायदा उठाते हुए ही उसने कोर्ट से गिरफ्तारी के खिलाफ स्थगनादेश ले लिया था.

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मुख्यमंत्री के सख्ती होते ही हाथ-पांव फूले पता चला है कि सुरेश सिंह यादव के अब तक गिरफ्तार न होने की बात मुख्यमंत्री को पता चली तो उन्होंने काफी नाराजगी जतायी. बस इसके बाद ही ऊपर से नीचे तक अफसरों के हाथ-पांव फूल गये। सुरेश सिंह यादव को गिरफ्तारी पर स्टे भी मिल चुका  था.

पुलिस को कई दिन से आ रही शिकायत पर एफआईआर दर्ज की और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. शनिवार शाम को जहां हजरतगंज पुलिस ने इस बारे में मीडिया को बताया, वहीं शासन से भी इस कार्रवाई का प्रेस नोट जारी किया गया. फिलहाल हजरतगंज पुलिस के इस कारनामे से एक बार फिर लखनऊ पुलिस कठघरे में खड़ी दिखाई दे रही है।

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