चारा घोटाले को पीछे छोड़ सबसे बड़ी घोटालेबाज साबित हो रही नीतीश सरकार!
नई दिल्ली। भागलपुर में सरकारी राशि के घोटाला मामले में रकम के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। बढ़ते आंकड़ों के साथ यह दावा किया जा रहा है कि यह घोटाला बिहार के चारा घोटाले को भी पीछे छोड़ देगा। सभी सरकारी विभाग मुख्य सचिव के आदेश पर अपने लेन-देन और हिसाब-किताब का ब्यौरा मिलाने में जुटे हुए हैं।
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बता दें इस मामले में अब तक सात एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। मामले में सरकारी खजाने को 700 करोड़ की चपत लगाने का आरोप है।
एफआईआर करने वालों में सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक भी शामिल है, जिसमें 48 करोड़ रूपए सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में गलत तरीके से ट्रांसफर करने का आरोप लगाया गया है।
वहीं इस मामले को उठाते हुए शनिवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया था। अपनी बातों में लालू ने मुख्य रूप से सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधा था।
साथ ही मामले में सुशील कुमार मोदी के साथ नीतीश कुमार की सहभागिता होने का भी दावा किया था।
ख़बरों के मुताबिक़ भागलपुर के डीएम आदेश तितिरमारे ने इस बात का खुलासा किया कि मामले में सात एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।
इनमें कुल 700 करोड़ रुपये का चूना सरकारी खजाने को लगाने के आरोप हैं। कुल आठ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
बहरहाल, आर्थिक अपराध इकाई और पुलिस की एसआईटी टीम मिलकर मामले की जड़ तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है।
जांच के दौरान जैसे-जैसे परतें खुलती जा रही हैं घोटाले की रकम में लगातार इजाफा होता ही जा रहा है, जिसे देख सभी की आंखे फटी की फटी हैं।
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डीएम के मुताबिक कल्याण विभाग द्वारा भी एक प्राथमिकी दर्ज कराई जानी है। कल्याण विभाग में भी फर्जी दस्तखत से 40 करोड़ रूपए बैंकों ने सृजन के खाते में हस्तांतरित किए हैं।
सर्व शिक्षा अभियान के खातों का मिलान शाम तक होने की उम्मीद है। इसमें भी गड़बड़ी की बात सामने आ रही है। यदि ऐसा हुआ तो बिहार के चारा घोटाला को भागलपुर का एनजीओ घोटाला पीछे छोड़ देगा।
सूत्रों के मुताबिक सर्व शिक्षा अभियान का 525 करोड़ रूपए का लेन-देन का हिसाब नहीं मिल रहा है। अगर इस रकम को भी मिला दें तो इस घोटाले की कुल रकम 1027 करोड़ की हो सकती है।
पड़ोसी जिले सहरसा से भी इसके तार जुड़े होने की बात कही जा रही है। उसका आंकड़ा कुछ और हो सकता है।
बता दें कि हे कि चारा घोटाला 900 करोड़ रूपए का था, जिसकी जांच सीबीआई ने की थी। अब इस घोटाले की भी जांच सीबीआई से कराने की मांग उठने लगी है। तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा।
डीएम इस घोटाले के पीछे बैंकों और एनजीओ की सांठगांठ को वजह मान रहे हैं। इस लिहाज से उन्होंने घोटाले की तमाम रकम वापसी के लिए बैंकों को सख्त पत्र लिखने की बात कही है।
बता दें कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारियों ने जाली दस्तखत वाले चेकों के माध्यम से सरकारी राशि सृजन के खाते में ट्रांसफर किया है।
डीएम के आदेश पर एनजीओ सृजन के तमाम बैंक खातों के जमा निकासी पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि जिन सरकारी कर्मचारियों या अधिकारियों की संलिप्तता पाई जाएगी उन्हें बख्शा नही जाएगा।
मामले में अब तक गिरफ्तार सभी आठ आरोपियों को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इनमें डीएम के सहायक प्रेम कुमार, भू-अर्जन विभाग के नाजिर राकेश कुमार झा, राकेश कुमार, सृजन की प्रबंधक सरिता झा, बैंक क्लर्क अजय पांडे, प्रेरणा सेंटर के बंशीधर झा, जहां से बैंक खातों के फर्जी विवरणी और पासबुक अपडेट होते थे।
डीएम ने बताया कि इन सरकारी कर्मचारियों के निलंबन की प्रक्रिया जारी है। नजारत के क्लर्क अमरेंद्र कुमार यादव फिलहाल फरार हैं।
सृजन की सचिव प्रिया कुमार और इनके पति अमित कुमार भी घोटाला उजागर होते ही गायब हो गए हैं। पुलिस ने इनके आवास से कई कागजात बगैरह जब्त किए हैं।
ख़ास बात यह है कि मीडिया के सवाल… मामले की भनक उन्हें कैसे लगी? पर जिलाधिकारी तितिरमारे सूत्रों का नाम लिया।
उन्होंने कहा कि सूत्रों से पता चला कि बैंकों में सरकारी खातों से रकम लगातार कम होती जा रही है। इसके बाद डीडीसी अमित कुमार से विस्तृत जांच कराई गई।
बैंक विवरणी और पासबुक का मिलान कराया गया तो काफी फर्क मिला। इसके बाद 74 करोड़ रूपए का जारी चेक बैंक से बाउंस हो गया। तब फर्जीवाड़े की असलियत सामने आई।
(साभार जनसत्ता)
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