भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर की ये है इनसाइड स्टोरी, इस फोटो से लिया गया उनका चेहरा

नोटों की सत्यतानई दिल्ली। हम जब भी भारतीय नोटों की सत्यता की पहचान करते हैं तो सबसे पहले हम नोटों पर गांधी जी की तस्वीर देखते हैं. यानि गांधी जी का चेहरा ही नोट के असली होने की पहचान होता है. पर क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर नोट पर गांधी जी की तस्वीर कब से और कैसे आई? अगर नहीं सोचा है तो आज हम आपको बताएंगे इसकी इनसाइड स्टोरी. जो बेहद मज़ेदार है और रोचक है.

आपने देखा होगा कि पिछले दो दशकों में भारतीय नोटों की शक्ल तो कई बार बदली, लेकिन उन सभी में गांधी जी की फोटो हमेशा एक जैसी ही रही है. ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि गांधी जी की यह तस्वीर कहां से आई, जो ऐतिहासिक और हिंदुस्तान की करेंसी का ट्रेडमार्क बन गई. दरअसल यह सिर्फ पोट्रेट फोटो नहीं, बल्कि गांधी जी की संलग्न तस्वीर है. इसी तस्वीर से गांधी जी का चेहरा पोट्रेट के रूप में लिया गया.

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कहां से आई गांधी की फोटो

यह तस्वीर उस समय खींची गई, जब गांधी जी ने तत्कालीन बर्मा (म्यांमार) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात की थी. इसी तस्वीर से गांधीजी का चेहरा पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया.

1996 में हुआ नोटों में परिवर्तन

RBI द्वारा 1996 में नोटों में परिवर्तन करने का फैसला लिया गया. इसके अनुसार अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो और अशोक स्तंभ की फोटो नोट के बायीं तरफ निचले हिस्से पर अंकित कर दी गई.

5 रुपए से लेकर 1 हजार तक के नोट में गांधी जी की फोटो दिखाई देती है. इससे पहले 1987 में जब पहली बार 500 का नोट चलन में आया तो उसमें गांधी जी का वॉटरमार्क यूज किया गया था. 1996 के बाद हरेक नोट में गांधीजी का चित्र अंकित हो गया.

नोटों पर कभी छपती थी किंग जॉर्ज की तस्वीर

भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनों में रहा. इसके बाद मुद्रा की दशमलव प्रणाली अपनाई गई और एक रुपए का निर्माण 100 पैसों में किया गया. किंग जॉर्ज की फोटो वाला नोट 1949 तक चलन में था. इसके बाद अशोक स्तंभ वाला नोट आया था. महात्मा गांधी वाले कागजी नोटों की शुरुआत 1996 से शुरू हुई, जो अब तक चलन में है.

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क्या कहते हैं नियम

अब एक और दो रुपए के नोट चलन में नहीं हैं. हालांकि, एक रुपए के नोट की छपाई दोबारा शुरू हो चुकी है. इसे 1994 से बंद कर दिया गया है. इनकी जगह सिक्कों ने ले ली थी. वहीं, जब एक रुपए का नोट चलन में था, तब उस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर की जगह फाइनेंस सेक्रेटरी (वित्त सचिव) के हस्ताक्षर अंकित हुआ करते थे.

करेंसी ऑफ ऑर्डिनेंस के नियमानुसार एक रुपए का नोट भारत सरकार द्वारा, जबकि दो रुपए से लेकर 1000 रुपए तक की करेंसी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की जाती थी. मौजूदा में दो रुपए का उत्पादन बंद है, लेकिन पुराने नोट अभी भी चलन में हैं.

RBI ने एक RTI में बताया था कि…

केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बताया कि सभी नोटों पर वाटर मार्क एरिया में महात्मा गांधी की फोटो मुद्रित करने की सिफारिश 15 जुलाई 1993 और नोट में दाहिनी तरफ महात्मा गांधी का चित्र मुद्रित करने का सिफारिश 13 जुलाई 1995 को आरबीआई ने केंद्र सरकार को की थी. आरबीआई ने जवाब में कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार ने कब लिया, कब लागू हुआ और किस तारीख से महात्मा गांधी की फोटो भारतीय नोटों पर छापने का कार्य शुरू हुआ. इसकी जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है.

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