लालू ने ज़ाहिर किये अपने निजी जीवन के राज़, शादी के पूरे एक साल बाद मिले थे अपनी पत्नी से

पटना। बॉलीवुड में चल रहे बायोपिक ट्रेंड के बाद मशहूर राजनीतिज्ञ लालू प्रसाद यादव के जीवन पर जल्द ही एक किताब सामने आने वाली है। जिसमें आप लालू के जीवन के कुछ अनछुए पहलू से रुबरु हो सकेंगे क्योंकि इसमें लालू यादव ने अपने राजनैतिक जीवन के साथ ही निजी जीवन से जुड़ी कुछ बातों का भी ज़िक्र किया है। इस किताब में लालू ने बताया है कि उन्होंने शादी के पूरे एक साल तक अपनी पत्नी राबड़ी देवी को नहीं देखा था।

उन्होंने लिखा है मार्च, 1974 में राबड़ी देवी दुल्हन के रुप में गौने के बाद पहली बार उनके फुलवारिया स्थित घर में आयी थी। हालांकि उनकी शादी साल 1973 में बसंत पंचमी के दिन हो गई थी लेकिन ऐसी पंरपरा है कि दूल्हा और दुल्हन गौना होने के बाद ही साथ रह सकते हैं। गौना एक ऐसी परंपरा है जिसमें दुल्हन को शादी के एक साल या उससे ज़्यादा समय के बाद उसके ससुराल भेजा जाता है।

लालू यादव ने किताब में लिखा है कि जब राबड़ी देवी उनके घर आयी उससे पहले तक उन्होंने राबड़ी देवी को देखा तक नहीं था। जब मैंने उन्हें पहली बार देखा तो उस वक्त उन्होंने एक सामान्य सी दुल्हनों वाली साड़ी पहनी हुई थी और वह काफी शर्मीली और कुछ आशंकित सी दिखाई दी।

लालू प्रसाद यादव ने किताब में उस दिन को याद करते हुए लिखा है कि मैं उनके पास गया और उनसे कहा कि मैं बिहार के एक बड़े आंदोलन का नेता हूं, जयप्रकाश नारायण हमारे नेता हैं। मुझे 18 मार्च को किसी भी हाल में पटना पहुंचना है यदि मैं समय पर नहीं पहुंचा तो मुझे झूठा और बिका घोषित कर दिया जाएगा। कुछ भी हो सकता है…मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है और जेल में भी डाला जा सकता है। मुझे तुम्हारे सहयोग की ज़रुरत है।

लालू लिखते हैं कि राबड़ी ने कुछ नहीं कहा। यह पहली बार था जब मेरी उनसे बात हुई थी और वह बेहद मितभाषी थीं। अभी उनकी किताब बाज़ार में आयी नहीं है लेकिन फिर भी किताब पर चर्चा होने लगी है।

इस बार नेताओं के झूठे वादों में नही आने वाली जनता।

उनके बेटे तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को यह बताया कि नीतीश कुमार ने साल 2017 में महागठबंधन से नाता तोड़ने के सिर्फ 6 माह बाद ही महागठबंधन में वापस आने की काफी कोशिश की थी। इस ऑटोबायोग्राफी का नाम है ‘गोपलगंज टू रायसीना।‘

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