अब लड़कियों की हुई जिंदादिल मुंबई

मुंबई : आए दिन ‘कन्या भ्रूण हत्या’ से जुड़ी खबरें आती रहती हैं. कहीं लड़कियों की जन्म से पहले तो कहीं जन्म लेने के बाद हत्या कर दी जाती है. देश के कुछ राज्यों में लड़कियों का औसत सामान्य से कम हो गया है. लेकिन उम्मीद की एक किरण अभी भी बाकी है. मुंबई के कई हिस्सों में बीते पांच साल में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की जन्म दर बढ़ी है। 1,000 लड़कों में 950 लड़कियों का लिंगानुपात सामान्य माना जाता है. लेकिन महाराष्ट्र में यह लिंगानुपात 1000 का आंकड़ा पार हो चुका है. यानी राज्य में लड़के और लड़कियों की संख्‍या बराबर है। वहीं, राजधानी मुंबई में लड़कियों का आंकड़ा 1,033 है, जो बहुत ही शानदार है.

लड़कियों का लिंगानुपात

महाराष्ट्र के पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, भंडारा और अकोला जैसे शहरों में लिंगानुपात 1,000 तक पहुंच चुका है. पिछ्ले पांच साल में कोल्हापुर और पुणे के कुछ इलाकों के अलावा महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में भी लड़कियों ने लड़कों से ज़्यादा जन्म लिया है.

लड़कियों का लिंगानुपात वर्धा में सबसे आगे

खबरों के मुताबिक महाराष्ट्र का वर्धा इस मामले में सबसे आगे है. वर्धा के शहरी इलाकों में लड़कियों का लिंगानुपात 1,266 और ग्रामीण इलाकों में 1,377 है. अकोला, औरंगाबाद और पुणे में लिंगानुपात 1,068, 1,067 और 1,066 क्रमानुसार हैं.

यह लिंगानुपात के आंकड़े लोंगो की बदलती हुई विचारधारा को दर्शाते हैं। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है, जहां ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़े बढ़े हैं, वहीं शहरी इलाकों जैसे मुंबई के थाने (747), धुले (805), जलगाओं (819) और कोल्हापुर (831) में यह लिंगानुपात कम है.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (NHFS), केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से यह सर्वे बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह सर्वे महाराष्ट्र के 27,000 घरों में किया गया था. डिस्ट्रिक्ट-लेवल पर इस सर्वे में 700-800 घरों का निरीक्षण किया गया.

महाराष्ट्र में लड़कियों के जन्म के साथ उनकी शिक्षा के स्तर और उनकी शादी की उम्र में भी बढ़ोत्तरी हुई है. एक दशक पहले 30% के मुकाबले अब 42% महिलायें (15-49 वर्ष) 10 साल तक शिक्षा प्राप्त करती हैं. वहीं 18 साल की उम्र में शादी करने वाली लड़कियों (20-24 वर्ष) की संख्या 39% से घट कर 25% हो गयी है.

खबरों के मुताबिक बिहार और तमिलनाडु में भी इन आंकड़ों में काफी सुधार आया है. वहीं हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और वेस्ट बंगाल में यह स्तर नीचे गिर गया है.

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