रियल एस्टेट को स्ट्रेस फंड से पूरा होगा 60 हजार बायर्स का सपना, जेपी, यूनिटेक और आम्रपाली के खरीदारों को करना होगा इंतजार

REPORT-LALIT PANDIT/GR.NOIDA

देश में अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा कर रियल एस्टेट को संजीवनी देने के मकसद से केंद्रीय वित्त मंत्री ने 25 हजार करोड़ का स्ट्रेस फंड देने का ऐलान किया है। इसका क्रेडाई और बायर्स ने स्वागत किया है। इस व्यवस्था से नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 100 से अधिक प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद जगी है।

इससे लगभग 60 हजार बायर्स को अपना घर मिलने की संभावना जताई जा रही है। दूसरी ओर, इस योजना का लाभ उन बिल्डर्स को नहीं मिलेगा, जिनके मामले हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में हैं। यानि नोएडा, ग्रेटर नोएडा के तीन बड़े बिल्डर जेपी, आम्रपाली और यूनिटेक के लगभग 75 हजार बायर्स को अभी और इंतजार करना होगा।

मिलेगा सपनों का घर

सेक्टर-27 में गुरुवार को हुई प्रेस कान्फ्रेंस में क्रेडाई के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने बताया कि पूरे देश के लिए 25 हजार रुपये का फंड कोई बहुत मायने नहीं रखता है, लेकिन संतोष इस बात का है कि सरकार ने रियल एस्टेट के बारे में कुछ सकारात्मक पहल की है। उन्होंने बताया कि सरकार के इस एलान के बाद नोएडा ग्रेटर नोएडा के 100 से अधिक प्रोजेक्ट्स को इसका लाभ मिलेगा। ये मूलत: छोटे प्रोजेक्ट हैं, जिनमें प्रति प्रोजेक्ट 200-250 फ्लैट्स हैं।

यानि सीधे तौर पर लगभग 60 हजार बायर्स को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ उन बिल्डर्स और उनके प्रोजेक्ट्स को नहीं मिलेगा, जिनका मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। यानि जेपी, यूनिटेक और आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में घर खरीदारों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। एक अनुमान के मुताबिक तीनों बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स में लगभग 75 हजार बायर्स ने निवेश कर रखा है।

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मनोज गौड़ ने बताया कि कुल 25 हजार करोड़ का फंड रियल स्टेट को दिया जाएगा। इसमें सरकार का योगदान 10 हजार करोड़ का होगा। शुरू में इसमें एसबीआई और एलआईसी फंड देंगे। इस फंड की मदद से एक अकाउंट में पैसे डालकर अधूरे प्रॉजेक्ट को पूरा कर बायर्स को घर दिया जाएगा। शुरुआत में यह आकाउंट एसबीआई के पास होगा। उन्होंने बताया कि इस फंड से देश के लगभग 1016 अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को फायदा होगा। इससे कुल 50 लाख फ्लैट्स पूरे करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन बिल्डरों ने अपने प्रजेक्ट्स पर निर्माण कार्य नहीं शुरू किया है, उन्हें भी इस स्कीम से बाहर रखा गया है।

उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट मदर ऑफ इंडस्ट्रीज है। इससे लगभग 270 इंडस्ट्रीज जुड़ी हैं। एक प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए बिल्डर सीधे तौर पर 250 उद्योग निर्माण सामग्री खरीदता है। शेष उद्योगों की उपयोगिता घरों में शिफ्ट करने के बाद होती है। मनोज गौड़ ने बताया कि यह शुरुआत है। रियल एस्टेट इंडस्ट्रीज अगर संकट से उबरा तो बाजार में रौनक आने की उम्मीद काफी अधिक होगी। 

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