रिपब्लिक डे स्पेशल : व्‍हाट्सएप, एसएमएस पर भेजें इस तरह के सन्देश

रिपब्लिक डे स्पेशल : व्‍हाट्सएप, एसएमएस पर भेजने इस तरह के सन्देश

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय अवकाश होता है। लेकिन ये दिन इंडिया में किसी फेस्टिवल से कम नहीं होता।

हर स्कूल, कॉलेज़, सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में हर्ष और उल्लास के साथ इसे मनाया जाता है। अपने प्रियज़नों और मित्रों को बधाई संदेश भेजे जाते हैं।

रिपब्लिक डे स्पेशल : व्‍हाट्सएप, एसएमएस पर भेजने इस तरह के सन्देश

व्हाट्एप और एसएसएस पर भेजने के लिए शुभकामना संदेश

1. उजड़े नहीं अपना चमन

टूटे नहीं अपना वतन

गुमराह न कर दे कोई

मंदिर यहां मस्जि़द यहां

हिंदू यहां मुस्लिम यहां

मिलते रहे हम प्यार से

2. वीरों के बलिदान की कहानी हैं ये

मां के कुर्बान लालों की निशानी हैं ये

यूं लड़-लड़कर इसे तबाह न करना

देश है कीमती

उसे धर्म के नाम पर नीलाम न करना।

3. मिटाने से नहीं मिटते

डराने से नहीं डरते

वतन के नाम पर

हम सर कटाने से नहीं डरते

4. बचपन का वो भी एक दौर था

गणतंत्र में भी खुशी का शोर था

न जाने क्यूं अब सब बदल गया

इंसानियत में मज़हबी बैर हो गया

5. न जियो धर्म के नाम पर

न मरो धर्म के नाम पर

इंसानियत ही है हम वतन पर

बस जियो वतन के नाम पर

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6. पैसे की चाह में देश छूट गया

ऐ वतन मैं तुझसे दूर हो गया

न जानता था मैं

इस मिट्टी की खूशबू

न समझता था मैं

अपनों की आरजू

आज जब तिरंगा देखा मैंने

मेर वतन की याद आने लगी

आज जब राष्ट्रगान सुना मैंने

मुझे वतन की खुशबू सताने लगी।

7. न पाल हिंदू-मुस्लिम का बैर

मेरी मां का प्यार को न बना इतना गैर

उसके दिल में सभी समान हैं

सब मिलकर रहे इसी में उसकी शान है।

8. दिल के तार जुड़ गए हैं उससे

बेवफाई न होगी मुझसे

उसकी भक्ति में ही सुकून है

ऐ भारत मां क्या तुझे मेरा मस्तक कुबूल है।

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9. मां तुझे सलाम

तू मस्तक पर विराजे

यही है मेरी शान

तिरंगा मिले कफन में मुझे

यही उपहार होगा तेरा

हर जीवन तेरे आंचल में खिले

यही अरमान होगा मेरा

10. इतना सुंदर जीवन दिया हमें

कई लोगों की कुर्बानी ने

बाहरी दुनिया ने अंधा कर दिया हमें

जोश भरी जवानी में

क्या समझेंगे हम मोल इस आजादी का

कभी सहा नहीं दर्द हमने गुलामी का।

11. ए बंदे!

न हिंदू बन, न मुस्लिम,

न भ्रष्टाचार का गुलाम,

बस एक इंसान बन

कुछ ऐसे काम करके

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