राहुल का गरीबों को न्यूनतम आय देने का वादा, सरकार पर पड़ेगा भारी…जानें कैसे…
सरकार के शुरुआती आंकलन के अनुसार देश के 25 प्रतिशत गरीब घरों के एक सदस्य को न्यूनतम आय गारंटी प्रदान करने के लिए लगभग 7 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
यह गणना 321 रुपये प्रतिदिन न्यूनतम वेतन भुगतान पर आधारित है, यानी हर महीने 9,630 रुपये, जिसे कि अकुशल कृषि श्रमिकों के लिए केंद्र ने अनिवार्य किया हुआ है।
यदि 18-30 प्रतिशत घरों को लक्षित किया जाए तो यह लागत 5 करोड़ रुपये से ऊपर होगी।
इसका संकेत पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने इंटरव्यू में दिया था।
उनसे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि यदि वह लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करते हैं तो वह न्यूनतम आय की गारंटी देंगे।
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने प्रस्ताव के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया है।
वहीं समाज के गरीब वर्गों के लिए इस तरह की योजना को लागू करने से सरकार के ऊपर वित्तीय भार बढ़ जाएगा क्योंकि वह पहले से ही कुछ चीजों पर सब्सिडी देता है, जिसमें खाना और खाद से लेकर कर्ज में रियायत तक शामिल है।
दो साल पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में सार्वभौमिक बुनियादी आय के अंतर्गत 75 प्रतिशत घरों को सालाना 7,620 रुपये देने का सुझाव दिया गया था। जिससे कि हर कोई गरीबी रेखा से ऊपर जीवनयापन कर सके।
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मगर इसे लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इसका खर्च ज्यादा आ रहा था और सरकार गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को मिलने वाली सब्सिडी नहीं हटा सकती है।
इस सर्वें में अनुमान लगाया गया था कि जीडीपी 4.9 प्रतिशत रहेगी।
इसमें सुझाव दिया गया था कि यदि 25 प्रतिशत घरों के पांच सदस्यों को न्यूनतम आय की गारंटी दी जाए तो इसकी लागत सालाना 2.4-2.5 लाख करोड़ रुपये आएगी।
इन घरों के पांच सदस्यों को प्रतिमाह 3,180 रुपये देने से सरकार का खर्च 1.75 करोड़ रुपये आएगा।