
नई दिल्ली। हर देश की एक ही चाहत होती है कि उसका देश सबसे आगे रहे. देश की सरकार इसके लिए तमाम तरीके अपनाती है, नई-नई योजनाए लागू करती हैं और देश के प्रति वफादारी निभाते हुए काम करती है. इसी कड़ी में मिस्र सरकार ने अपने देश की हालत सुधारने के लिए एक नए तरह का प्रयोग किया. मिस्र देश दुनियाभर में अपने प्राचीन सभ्यता और पिरामिड के लिए मशहूर है. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने एक अजीब फरमान जारी किया है. जारी फरमान में कहा गया है कि मिस्र की राजधानी काहिरा की सारी बिल्डिंग मटमैले रंग की होनी चाहिए. और नदी के किनारे के इलाकों को नीले रंग से सारी इमारतें रंग देनी होगी.
राष्ट्रपति ने इसके लिए बकायदा देशवासियों को समय दिया है. और कहा कि वह मार्च महीने तक अपनी इमारतें नियमानुसार रंग लें. फरमान में हिदायत देते हुए कहा गया है कि जो यह काम नहीं करेगा तो इसके लिए जिम्मेदार कर्मचारियों और मकान मालिकों को सजा दी जाएगी. इस फरमान की सबसे खास बात यह है कि यह सब मकान मालिकों और कर्मचारियों को अपने खर्च पर करना होगा.
इस काम के लिए सरकार किसी तरह का कोई भी अनुदान नहीं देगी. राष्ट्रपति के इस आदेश के बाद काहिरा में लोगों के बीच हड़कंप मच गया है. सभी लोग अपने रोजमर्रा के कामों को छोड़कर अपने घरों और इमारतों को रंगने में जुट गए हैं. इस फरमान के बारे में जब राष्ट्रपति अब्देल फतह से पूछा गया तो उनका कहना था कि, ‘काहिरा में एक कलर की इमारतें होने से शहर में एकरूपता आएगी.
राष्ट्रपति के फरमान का पीएम प्रधानमंत्री मोस्तफा मेडबोली ने भी केबिनेट में समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि, ‘सभी इमारतों का कलर मटमैला होना चाहिए. अगर मार्च तक ऐसा नहीं हुआ, तो इमारतों के मालिक को सजा जरूर दी जाएगी.’
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आपको बता दें कि काहिरा शहर नील नदी के किनारे बसा है. इससे पहले भी देश में कई तरह के फरमान जारी हो चुके हैं. जिससे मिस्र की सरकार की काफी बदनामी हो चुकी है. सरकार ने जरूरी चीजों पर सब्सिडी में कटौती और मौन विरोध जताने वाले हजारों लोगों की गिरफ्तारी के बाद लोग गुस्से में हैं. गरीबों को शहरों से बाहर भेजने का फैसला भी सरकार की किरकिरी करा चुका है.