अयोध्या में राम मंदिर के लिए शिया समुदाय ने फूंका बिगुल, विवादित स्थल पर ही विराजेंगे ‘राम लला’!

राम मंदिर के लिएलखनऊ। उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक बार फिर अयोध्या में बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सोमवार को कहा कि विवादित स्थल राम मंदिर के लिए देने और मस्जिद दूसरी जगह बनाने संबंधी याचिका जल्द ही दायर की जाएगी। अयोध्या में राम मंदिर ही बनना चाहिए। बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सोमवार को प्रेसवार्ता के जरिए यह बात कही। उन्होंने सहमति से बनने वाली इस मस्जिद का नाम ‘मस्जिद-ए-अमन’ रखने की बात कही है।

रिजवी ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड आपसी सहमति से अयोध्या विवाद निपटाने के पक्ष में है। विवादित जमीन पर मस्जिद बनाया जाना जायज नहीं है, क्योंकि बल प्रयोग कर मस्जिद बनाना इस्लाम के खिलाफ है।

उन्होंने कहा, “हमने कहा है कि मस्जिद की तामीर मुस्लिम आबादी में होनी चाहिए।”

रिजवी ने बताया कि अगर मस्जिद अलग बनती है और शिया वक्फ बोर्ड का उस पर दावा माना जाता है, क्योंकि ये मस्जिद शियाओं की थी, तो शिया बोर्ड ऐसी मस्जिद का नाम न तो बाबर के नाम पर रखेगा, न ही उसके सेनापति मीर बाकी के नाम पर रखेगा। उस मस्जिद का नाम मस्जिद-ए-अमन रहेगा।

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उन्होंने कहा कि ये विवाद 1528 में जन्म लिया। पुरातत्व विभाग भी कह चुका है कि वहां मंदिर के अवशेष मिले हैं। अगर ऐसा सही है कि वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, तो वह जगह इबादत के लायक ही नहीं है।

रिजवी ने कहा कि 1944 तक उस मस्जिद में इंतजाम का जिम्मा शिया समुदाय के पास रहा। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस समय यह कहकर मस्जिद पर कब्जा कर लिया कि यह मस्जिद बाबर ने बनवाई। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस समय यह क्यों नहीं कहा कि यह सुन्नी-शिया का मसला नहीं है।

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रिजवी ने साफ किया कि सुन्नी और शिया मस्जिदें अलग-अलग होती हैं। दोनों ही मस्जिदें अपने-अपने बोर्ड में दर्ज होती हैं।

उन्होंने कहा, “इस विवाद को खत्म करने के लिए हम अपने स्टैंड पर कायम हैं। हम एक कदम और आगे बढ़कर कहते हैं कि उस मस्जिद का नाम हम इन जालिमों के नाम पर नहीं रखेंगे। बाबर हिंदुस्तान में आया था, हिंदुस्तान में पैदा नहीं हुआ था। ये लोग हिंदुस्तान को लूटने आए थे, जैसे ये आए थे वैसे ही फिरंगी आए थे। इनमें और फिरंगी में कोई फर्क नहीं।”

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