मिला गया राम नाम लिखा तैरता हुआ पत्थर, देखने के लिए लगता है लोगों का तांता

छत्तीसगढ के कोरबा जिले में हसदेव नदी में मिला तैरता हुआ एक पत्थर कौतुहल का विषय बना हुआ है। नदी में नहाने गए बच्चों को पानी में तैरता कुछ दिखा। पास जाकर छूकर देखा तो पता चला कि पत्थर है।

बच्चों ने पत्थर को पानी से निकाल कर बार-बार फेंक कर देखा लेकिन पत्थर डूबा नहीं और तैरता ही रहा। पत्थर का वजन करीब 5 किलो है तथा इस पर राम नाम लिखा हुआ है।

राम नाम

बच्चों ने इसकी जानकारी बडों को दी तब शुरुआत में लोगों ने इसे बच्चों की ठिठोली समझ नजरअंदाज कर दिया। बच्चे जैसे-तैसे लोगों को खींच कर नदी तक लाने में सफल हो गए।

जैसे ही कुछ लोगों ने पत्थर को देखा वैसे ही बात जंगल में आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते नदी के पास लोगों का तांता लग गया। लोगों की मानें तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

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रामनवमी से कुछ दिन पहले ही मिले इस तरह के पत्थर से अब इलाके में अफवाहों का दौर भी शुरू हो गया है। कोई इस पत्थर को राम सेतु का हिस्सा बता रहा है तो कोई इसे चमत्कार कह रहा है।

राम नाम

फिलहाल इस पत्थर को नहर किनारे स्थित शिव मंदिर में रखा गया है जहाँ इसके दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ उमड रही है।

सीतामढ़ी व कुदुरमाल में भी है रामशिला

यह पहली बार नहीं जब हसदेव नदी में राम शिला पाया गया हो। सीतामढ़ी गुफा मंदिर के अलावा कुदुरमाल हनुमान मंदिर में भी रामशिला रखा हुआ है। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिला की अवधारणा किसी न किसी दृष्टि में हसदेव नदी से जुड़ी हुई है, जहां से इस तरह के विशिष्ट चट्टान के पत्थर पाए गए हैं।

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पृथ्वी पर कई तरह के तलहटी चट्टानें पाई जाती है। हजारों वर्षों के अंतराल में बनने वाले तलहटी चट्टानी पत्थरों पर ताप व दाब के साथ विभिन्न् तत्वों के मिश्रण का प्रभाव होता है। कई बार चट्टानी पत्थर के निर्माण में लकड़ी, मिट्टी व रेती का संयोजन होता है।

जिस तत्व का घनत्व अधिक होता है, उसका उस चट्टानी पत्थर पर प्रभाव पड़ता है। इस तरह के पत्थरों में लकड़ी के तत्वों का अधिक घनत्व होता है। इस वजह से पत्थर पानी में डूबने की बजाय तैरने लगते हैं।

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