रात में इस वजह से चावल का सेवन नहीं करना चाहिए

पांच तत्वों, त्रिदोषों, प्रकृति, विकृति और रस-सिद्धांत आयुर्वेद प्रणाली के मूलाधार हैं, जो ‘देश’ एवं ‘काल’ सिद्धांतों से बंधे नहीं हैं। भिन्न भोजन और चिकित्सा पद्धति ‘देश’ और ‘काल’ से संबद्ध है। ‘रस’ सिद्धांत के आधार पर हम पोषक तत्वों तथा विविध रोगोपचारों के लिए विभिन्न उत्पादों का प्रयोग कर सकते हैं।

चावल

यूरोप के लोग आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त करने दक्षिण भारत अथवा श्रीलंका जाते हैं और निश्चित धारणाएं लेकर लौटते हैं।उन धारणाओं के आधार पर रोगोपचार का प्रयास करते हैं। ठंडे इलाकों में नारियल के तेल के स्थान पर तिल के तेल का प्रयोग करना चाहिए। ठंडे स्थानों में चावल को आहार नहीं बनाना चाहिए।

सच तो यह है कि चावल रात के समय नहीं खाना चाहिए।

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