राजनीतिक पहुंच और समय के साथ बढ़ता गया विकास दुबे का दबदबा, कुछ इस तरह बढ़ाया वर्चस्व

यूपी के कानपुर में गुरुवार देर रात दबिश देने गयी पुलिस टीम पर बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग की। इस फायरिंग में सर्कल ऑफिसर और 3 सब इंस्पेक्टर समेत 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस की टीम बिठूर थाना क्षेत्र इलाके के एक गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए गयी हुई थी। हालांकि इसी बीच बदमाशों की गैंग ने पुलिस टीम पर घात लगा छत से हमला कर दिया। इस दौरान पुलिस जिस हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए गयी थी वह फरार हो गया। इसी के साथ बदमाशों ने पुलिस के हथियार भी लूट लिये। वहीं घटना को लेकर अब पुलिस की ओर से यह दावा भी किया जा रहा है कि एनकाउंटर में विकास दुबे के 3 साथियों को मार गिराया गया है।

डीजीपी एचसी अवस्थी के अनुसार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खिलाफ कानपुर में राहुल तिवारी ने हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसके बाद पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए बिकरू गांव पहुंची थी। पुलिस के पहुंचने के पहले से ही बदमाश वहां पूरी तरह से मुस्तैद थे। उन्होंने जेसीबी आदि के माध्यम से रास्ता रोक रखा था। जिसके बाद पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग शुरु हो गयी।

विकास दुबे पर दर्ज हैं 60 मुकदमें
विकास दुबे के ऊपर 60 मुकदमें दर्ज हैं। कानपुर के राहुल तिवारी नाम के व्यक्ति ने उस पर 307 का एक मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसके बाद पुलिस दबिश देने दिकरू गांव पहुंची थी। विकास दुबे प्रधान व जिला पंचायत सदस्य भी रहा है। 2001 में एक हत्या का आरोप है। विकास दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला के हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। 2002 में विकास दुबे का नाम ताराचंद इंटर कालेज के सहाय प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी सामने आया था। वह केबिल व्यवसाई की हत्या में भी शामिल था। इससे पहले साल 2000 में शिवली थाना अंतर्गत रामबाबू यादव की हत्या के मामले में भी विकास दुबे पर जेल के भीतर रहकर हत्या की साजिश रचने का आरोप है। वहीं साल 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या में भी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे आरोपी है। 2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर भी जानलेवा हमला किया था। उसने इसकी साजिश माती जेल में बैठकर ही रची थी। जिसके बाद अनुराग की पत्नी ने विकास समेत 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था।

31 अक्टूबर 2017 को लखनऊ से हुई थी गिरफ्तारी
कुख्या विकास को एसटीएफ ने 31 अक्टूबर 2017 को लखनऊ के कृष्णानगर से गिरफ्तार किया था। विकास पर कानपुर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया था। वह कुछ दिन पहले ही जेल से बाहर आय़ा था।

राजनीतिक दलों में विकास का सिक्का मजबूत
बात अगर सियासत और राजनीतिक दलों की हो तो विकास दुबेकी पकड़ी यूपी के चारों ही राजनीतिक दलों में काफी मजबूत है। 2002 में जब सूबे में मायावती मुख्यमंत्री थी तो इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ कानपुर नगर में चलता था। इसी दौरान विकास दुबेने जमीनों पर अवैध कब्जा कर गैर कानूनी तरीकों से संपत्ति बनाई। इतना ही नहीं जेल में रहते हुए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव जीता था। इसी बीच विकास ने खुद का एक बड़ा गैंग खड़ा किया। मौजूदा समय में भी यह कहा जाता है कि विकास दूबे का राज आज पास के 5-6 गांवों में पूरे तौर से चलता है। इसी के साथ कई दर्जनों सीसीटीवी उसकी सुरक्षा के लिए घर के आस-पास लगे रहते हैं।

सीएम ने मांगी रिपोर्ट
घटना को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की ओऱ से एसटीएफ को कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं। वहीं घटना के बाद एहतियातन यूपी के सभी बार्डर सील कर दिये गये हैं।

घटना में मारे गये यह पुलिसकर्मी
घटना में डीएसपी देवेंद्र मिश्र, एसआई अनूप कुमार सिंह, एसआई नेवूलाल, एसओ महेश चंद्र यादव, कॉन्स्टेबल सुल्तान सिंह, कॉन्स्टेबल राहुल, कॉन्स्टेबल जितेंद्र और कॉन्स्टेबल बबलू की मौत हो गई है। इसके अलावा बिठूर थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह समेत 7 पुलिसकर्मियों को गोली लगी है।

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