
रिपोर्ट – नीरज श्रीवास्तव
लखनऊ : जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार कानून-व्यवस्था सुरक्षा एवं उत्तर प्रदेश को एक अलग रूप देने की कोशिश में लगी हुई है | इसी कोशिश को देखते हुए आधुनिक बस अड्डे का निर्माण करवाया गया |
लेकिन आलम यह है यह बस अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था को ताक पर रखकर के परिवहन विभाग अपनी आंखें मूंद कर के बैठा हुआ है | जिससे किसी भी समय कोई बड़ी घटना घट सकती है |
बता दें कि इस बस अड्डे का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की अगुवाई में हुआ था | आलमबाग बस अड्डे में अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गई है |
इसी कड़ी में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए मेटल डिटेक्टर मशीन व स्केनर मशीन को भी लगाया गया था जो कि शुरुआती दौर में चलाया गया और सभी को यही लगा कि प्रदेश में एक अलग तरह का अनूठा और पूरी तरह से सुरक्षित बस अड्डा आलमबाग बस अड्डा है |
लेकिन आज आलम यह है कि ना ही आलमबाग बस अड्डे में स्केनर मशीन चलती है और ना ही मेटल डिटेक्टर मशीन | नाम के लिए सुरक्षा गार्ड खड़े रहते हैं |
यात्री बिना किसी जाँच के आसानी के साथ बस अड्डे के अंदर आते और जाते हैं | ऐसे में किसी भी तरह के अराजक तत्व किसी भी तरह की घटना को अंजाम दे सकते हैं क्योंकि वर्तमान समय में किसी भी व्यक्ति की ना ही जांच हो रही है और ना ही सामान की | ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक का जिम्मेदार कौन होगा?
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बता दें कि परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में परिवहन विभाग को लिखित रूप से दे दिया गया है, जबकि पूरे आलमबाग बस अड्डे की देखरेख की जिम्मेदारी शालीमार सिक्योरिटी एजेंसी को दी गई |
इस एजेंसी के माध्यम से काफी मोटी रकम कमीशन खोरी की बंदरबांट ऊपर से लेकर नीचे तक होती है | सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों से जब इस बात के बारे में पूछा गया तो उनका साफ कहना है कि यह सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी शालीमार ग्रुप की नहीं है |
जबकि आलमबाग बस अड्डे के अंदर जाते समय शुरुआती दौर में शालीमार ग्रुप के सुरक्षा गार्ड बाकायदा लोगों की जांच करते थे गुटखा, पान, बीड़ी, सिगरेट अन्य सामान भी अंदर नहीं जा सकता था |
लेकिन आज आलम यह है कि किसी भी तरफ से आराम से कुछ भी लेकर अब बस अड्डे के अंदर जा सकते हैं | ऐसी स्थिति में किसी भी समय कोई बड़ी घटना घट सकती है |
जैसा कि सभी को ज्ञात है कि समय-समय पर पुलिस विभाग व खुफिया एजेंसी आतंकी गतिविधियों पर निगाह गड़ाए रखती है |
लेकिन जब इस तरह से सुरक्षा व्यवस्था को नजरअंदाज किया जाएगा, तो कहां तक ऐसे लोगों के ऊपर लगाम लग सकती है | अगर दुर्घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार वर्तमान सरकार को ही माना जाएगा |
जबकि सरकार को परिवहन विभाग के अधिकारी अंधेरे में रखे हुए हैं | जबकि इस बस स्टेशन में किसी तरफ से आदमी आ सकता है और जा सकता है |
लेकिन शुरुआती दौर में सुरक्षा व्यवस्था बड़ी ही चुस्त-दुरुस्त रखी गई थी | आखिर यह दिखावा क्यों किया? जिस तरह से शुरुआती दौर में सुरक्षा व्यवस्था और अन्य चीजों का ध्यान रखा गया था वो अब क्यों नहीं ? यह बहुत ही चिंता का विषय है, जिसकी जिम्मेदारी परिवहन विभाग को लेनी होगी |