मिलिए गुदड़ी के लाल रईस से, बना दी पानी से चलने वाली कार

रईस महमूदजन्म के बाद जब बच्चे में थोड़ी समझ आती है तो हर माँ-बाप उसे यही समझाने की कवायद करने लगते है कि बेटा पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब। पर न जाने क्यों हम एक बात हमेशा भूल जाते हैं। इंसान को किसी भी काम को करने का तरीका और ढंग बताया जा सकता है पर हुनर कभी सिखाने से नहीं आता। सभी को ऊपरवाले ने दिमाग एक सा दिया है पर उसको चलाने का तरीका ही लोगों की शख्सियत बनाता है। विज्ञान के क्षेत्र में अभी तक बहुत सी ऐसी महान हस्तियाँ हुई हैं जिन्होंने स्कूलों की किताबों की वजह से अपना नाम इतिहास में दर्ज नहीं कराया बल्कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से सीखने की चाह ने उन्हें किताबों में जगह जरूर दिला दी है। इनका नाम और कारनामा हर बच्चे को तामील के रूप में दिया जाता है और कहा जाता है कि इन शख्सिय्तों को विज्ञान ने नहीं बल्कि इन्होंने विज्ञान को बनाया है। ऐसी ही एक महान शख्सियत रईस महमूद मकरानी के बारे में जानकर आपको गर्व होगा और हैरत भी। इन्होंने पानी से चलने वाली गाड़ी और गाड़ी को कंट्रोल करने वाला मोबाइल एप इजाद किया है। इस कामयाबी के बाद दुबई और चीन की नामी कंपनियां उनसे तकनीक बेचने या फिर उनके देश में आकर सेवा देने का आग्रह कर चुकी है, लेकिन मकरानी उनका ऑफर ठुकरा चुके हैं। वह अपनी तकनीक की इस्तेमाल प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम के तहत सिर्फ देशवासियों और देश के लिए करना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद हैं कि प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया से उनके सपनों को भी एक दिन पंख लगेगा।

रईस महमूद मकरानी के आविष्कार   

मध्यप्रदेश के सागर जिले के रहने वाले 10वीं पास 54 वर्षीय एक कार मैकेनिक रईस महमूद मकरानी ने इस तथ्य को सच साबित कर दिया है। मकरानी के दो आविष्कारों ने उन्हें देश-प्रदेश सहित पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया है। पेट्रोल की बजाय पानी से चलने वाली कार और मोबाइल से कार ऑपरेट करने की उनकी तकनीक ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के होश उड़ा दिए हैं। सालों साल की मेहनत के बाद जो काम इंजीनियर्स नहीं कर पाए, उसे महज एक दसवीं पास मैकेनिक ने कर दिखाया है। इस कामयाबी के बाद कई देशों की नामी कंपनियां उनसे तकनीक बेचने या फिर उनके देश में आकर सेवा देने का आग्रह कर चुकी है, लेकिन मकरानी उनका ऑफर ठुकरा चुके हैं। वह अपनी तकनीक की इस्तेमाल प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम के तहत सिर्फ देशवासियों और देश के लिए करना चाहते हैं। उन्होंने अपने दोनों सफल आविष्कारों और उसके बाद के पूरे घटनाक्रम पर योरस्टोरी के माध्यम से अपने अनुभव साझा किए।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किमी के फासले पर स्थित सागर जिले के सदर बाजार में सालों से रईस महमूद मकरानी का परिवार रहता है। गाड़ियों की रिपयेरिंग और मेंटेनैंस का उनका पुश्तैनी कारोबार है। पिछले 50 सालों से हिन्द मोटर नाम से उनका गैराज चल रहा है, जो रईश मकरानी की जिंदगी का अटूट हिस्सा है। लगभग 35 साल पहले पढ़ाई के दौरान 12वीं में फेल करने के बाद मकरानी अपने पिता के कहने पर अपने इस पुश्तैनी गैराज का काम देखने लगे। अपने काम को वह इस समर्पण और ईमानदारी से करने लगे कि काम और मोटर गाड़ियों से उन्हें कब मुहब्बत हो गई, पता ही नही चला। नई-नई गाड़ियों के बारे में जानना और उसकी तकनीक को समझना, उनके शौक में शुमार हो गया। वह एक तजुर्बेकार डॉक्टर की तरह गाड़ियों की इंजन की आवाज को सुनकर और उसे देखकर बड़ी से बड़ी खराबी पकड़ चुटकियों में ठीक कर देते हैं। मकरानी के चार बेटे भी इसी कोराबार में उनका साथ देते हैं। मकरानी अपने पिता सईद मकरानी को अपना उस्ताद मानते हैं।

पेट्रोल नहीं पानी से चलने वाली कार बनाई

हाल में रईस महमूद अपनी पानी से चलने वाली कार को लेकर देश और दुनिया में सुर्खियों में हैं। डिस्कवरी और बीबीसी से लेकर देश के प्रमुख न्यूज चैनलों और अखबारों में उनके इस आविष्कार का कवरेज हो चुका है। पानी से चलने वाली उनकी कार ट्रॉयल रन में पूरी तरह कामयाब साबित हुई है। सरकारी संस्थाओं से लेकर कई निजी संस्थानों ने उनकी कार को जांच-परख कर उसे भविष्य की कार घोषित कर दिया है, और रईश मकरानी को इस बात का प्रमाण-पत्र भी जारी कर दिया है।

इस कार में चार लोग बैठ सकते हैं। इसे चलाने में प्रति दस किमी में लगभग 20 रुपए का खर्च आता है, जो वर्तमान पेट्रोल, डीजल, सीएनजी एलपीजी और एथनॉल से चलनी वाली कारों से बेहद सस्ती है। फॉर्मूले को पेटेंट कराने के लिए उन्होंने 2013 में इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया के मुंबई स्थित ऑफिस में अर्जी भी लगाई थी, जहां से उनकी कार का पेटेंट मिल गया है।

चीन और दुबई से मिला कार निर्माण में सहयोग का ऑफर

रईस महमूद की इस कामयाबी के बाद उन्हें चीन और दुबई की वाहन निर्माता कंपनियों ने कार निर्माण में मदद करने का ऑफर दिया है। उन्होंने बताया कि चीन के सियाग शहर से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी कोलियो के एमडी सुमलसन ने इस फॉर्मूले पर मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा है। कंपनी ने बड़े स्तर पर पानी और कार्बाइड से एसिटिलीन बनाकर इसे इलेक्ट्रिक एनर्जी लिक्विड फ्यूल में बदलकर देने पर बात की है। मकरानी 26 मई 2015 को चीन गए थे। लगभग 11 दिन तक वह इस सिलसिले में चीन में रहे, लेकिन उन्होंने चीनी कंपनी से भारत और खासकर सागर में कार बनाने और भारत में सबसे पहले इसे लांच करने की शर्त रखी थी। इसके बाद कंपनी ने उनसे इस दिशा में सोचने का समय मांगा था। रईस के अनुसार, इससे पहले 2013 में दुबई की इन्वेस्टमेंट कंपनी लस्टर ग्रुप ने भी उन्हें इस फॉर्मूले पर काम करने के लिए सहयोग करने का ऑफर दिया था। लेकिन भारत में रहकर फॉर्मूला तैयार और लॉन्च करने की बात को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी।

रईस महमूद कहते हैं कि वह शुरू से ही कारों में कुछ अलग करने का सोचते थे। पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम और उनके सिमित भंडारण की आशंकाओं के कारण भी वह पानी से कार चलाने के लिए प्रेरित हुए थे। हालांकि उनके इस आविष्कार के बाद कई लोगों ने सवाल उठाया है कि जब दुनिया में पीने के पानी का संकट है, तो ऐसे में पानी से चलने वाली कार समस्या का कोई समाधान नहीं करेगी बल्कि इससे जल संकट पैदा हो जाएगा। मकरानी इन सवालों के जवाब में कहते हैं कि इस तरह की चिंता फिजूल है,

अबतक 12 पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं मकरानी

रईस महमूद अपनी इस कामयाबी के लिए अबतक 12 विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। पहली बार वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश विज्ञान भवन ने उनके कामों का सराहा और इसके लिए उन्हें सम्मानित किया। विश्व पर्यावरण दिवस 2015 के मौके पर भी उन्हें विज्ञान मेले में उनके खोज के लिए सरकार ने उन्हें सम्मानित किया। इस तरह उनके नाम कुल एक दर्जन पुरस्कार हैं। लेकिन वह इन सम्मानों से संतुष्ट नहीं हैं।

मकरानी का एक दूसरा महत्वपूर्ण आविष्कार

रईस महमूद ने न सिर्फ पानी से चलने वाली कार बनाया है बल्कि उन्होंने वाहन चोरी की समस्या दूर करने के लिए भी एक अनूठा आविष्कार किया है। उन्होंने एक ऐसा डिवाईस और मोबाइल एप का ईजाद किया है, जिससे आप अपनी कार को अपने मोबाइल से बंद और स्टार्ट कर सकते हैं। हजारों किमी दूर से भी आप ये काम आसानी से कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपनी कार में बैठे लोगों की पूरी बातचीत भी सुन सकते हैं। कार चोरी होने पर इस डिवाइस से न सिर्फ कार की लोकेशन का पता चलेगा बल्कि उसे बंद भी किया जा सकता है। इससे कार को ढूंढने और चोर को पकड़ने में मदद मिलेगी।

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