जानें क्या है होली का रंग पंचमी से नाता, देवताओं को रंग से क्यों किया जाता है खुश

रंग पंचमी होली की तरह मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार चैत्र महीने की कृष्ण पंचमी को मनाया जाता है। यह पर्व इस साल 13 मार्च को मनाया जा रहा है। माना जाता है कि होली की शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से होती है और इसका समापन रंग पंचमी से ।

रंग पंचमी

रंग पंचमी कोकण क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार देश के हर हिस्से में नहीं मनाया जाता है। इस त्योहार के पीछे कई मान्यताएं भी हैं, माना जाता है कि अगर इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं वह सीधे भगवान को खुश कर रहे हैं।

रंग पंचमी के दिन होली की तरह की रंग से खेला जाता है। माना जाता है कि रंगों से वातावरण में ऐसी स्थिति व्याप्त होती है जिसस तमोगुण (अंधकरा, अज्ञान आदि गुण) और रजोगुण (भोग विलास और राजसी ठाठ बाठ) का नाश हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार यह पर्व देवताओं को समर्पित होता है। यह पर्व मध्यप्रदेश में खेला जाता है। इस दिन लोग सड़कों पर जुलूस निकालते हैं और रंग से मिला हुआ सुंगधित जल छिड़कते हैं। महाराष्ट्र में रंग वाली होली के दिन से रंग खेलना शुरू होता है जो रंग पंचमी के दिन तक चलता है। इस दिन का मुख्य पकवान होता है पूरनपोली। राजस्थान के जैसलमेर मंदिर महल में इस पर्व को खूब जश्न के साथ मनाया जाता है।

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हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार रंग पंचमी का त्योहार तामसिक और राजसिक गुणों पर सत्त्वगुण (पवित्रता) की जीत और विजय का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि आध्यात्मिक विकास के मार्ग में आने वाली बाधाएं जल्द समाप्त हो जांयेगी। रंग पंचमी त्योहार पांच प्रमुख तत्वों को सक्रिय करने में मदद करता है। इन पांच प्रमुख तत्वों में हवा, आकाश, पृथ्वी, जल और प्रकाश शामिल हैं। पुराणों के अनुसार, मनुष्य का शरीर भी इन्हीं पंच तत्त्वों से मिलकर बना हुआ है।

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