ये है दुनिया का पहला ऐसा डॉक्टर, जो इलाज के बदले लेता है आपके घर का कूड़ा…

इंडोनेशिया में रहने वाला 26 वर्षीय गमाल अलबिनसईद पेशे से  डॉक्टर है। उसने स्वच्छता के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है।

वह अपने गरीब मरीजों से इलाज के लिए पैसे की जगह, जो चीज लेता है, वो सभी को हैरान कर रहा है। दरअसल, वो इलाज करने के बदले में लोगों से कचरा लेता है।

डॉक्टर अलबिनसईद की ऐसी सोच ने पर्यावरण व स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है।

डॉक्टर गमाल अलबिनसईद का यह आइडिया इंडोनेशिया की दो बड़ी समस्याओं से निपटने में मददगार साबित हो रहा है।

ये है दुनिया का पहला ऐसा डॉक्टर, जो इलाज के बदले लेता है आपके घर का कूड़ा...

इंडोनेशिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो गरीबी के कारण स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। ऐसे लोगों के लिए इस डॉक्टर का कार्यक्रम गार्बेज क्लीनिकल इंश्योरेंस जीसीआई मुहैया कराता है।

अलबिनसईद द्वारा कचरे के बदले लोगों का इंश्योरेंस किया जाता है। इसके लिए लोगों को रिसाइकिल करने योग्य कचरा क्लीनिक में जमा करवाना होता है।

इस कचरे में आने वाली प्लास्टिक की बोतलों और कार्डबोर्ड को उन कंपनियों को बेच दिया जाता है जो इन्हें रिसाइकिल करके उत्पाद बनाती हैं।

इसके अलावा उपयुक्त कचरे को उर्वरक और खाद बनाने के काम में लिया जाता है। किसी व्यक्ति द्वारा कचरा दिए जाने के बाद वो इसके बदले दो महीने तक क्लीनिक की मूल स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा सकता है।

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गमाल की इस सोच और कोशिश के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं बल्कि उनके इस काम के लिए उन्हें 2014 में ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी सम्मानित कर चुके हैं।

इंडोनेशियाई डॉक्टर की सोच गरीबों को बेहतर इलाज के साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रख रही है। अलबिनसईद की इस पहल के बाद लोग अपने कूड़े करकट के साथ ज्यादा जिम्मेदाराना रवैया दिखा रहे हैं।

भारत की ही तरह इंडोनेशिया में भी कचरे से निपटने की समस्या है। वहां हर साल समुद्र के आसपास के इलाकों में पैदा होने वाला करीब 32 लाख टन कचरा समुद्र में पहुंचता है।

यह दुनियाभर के महासागरों में जाने वाले कचरे का 10 फीसद है। ऐसे में डॉक्टर गमाल का माइक्रो हेल्थ इंश्योरेंस कार्यक्रम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिसकी चर्चा खूब हो रही है। अलबिनसईद का मकसद भी इस कार्यक्रम को दुनियाभर में पहुंचाना है। उनके पास अब तक पांच क्लीनिक हैं और जहां 3500 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो रहा है।

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