ये शहर है मंदिरों की भव्यता से भरा, जाने का प्लान ज़रुर बना लें

भुंतार शहर की बात करें तो यह कुल्लू और मनाली के शहरों के लिए मार्ग को प्रशस्त करता है। यहां आपको हरे भरे वातावरण, वनस्पतियों और जीवों को देखने का मौका मिलेगा। कुल्लू से भुंतार लगभग 10 किमी दूर है। हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू में स्थित भुंतार में कई महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं जिनमें जगन्‍नाथ मंदिर और बिजली महादेव मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा बजौरा गांव में भी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।

bhuntaar

क्‍या आप जानते हैं कि भुंतार में व्यास नदी भी बहती है। यहां पर पर्यटक व्‍हाइट वॉटर राफ्टिंग का मज़ा भी ले सकते हैं। गर्मी के दौरान शहर के पास कैंपिंग के लिए भी रिलैक्‍सेशन प्‍वाइंट बना हुआ है। भुंतार का बशेश्‍वर मंदिर भी लोगों को बहुत पसंद आता है।

 

कैसे पहुंचे भुंतार

हवाई मार्ग द्वारा: आपको यह जानकर खुशी होगी कि इसका अपना घरेलू हवाई अड्डा है जिसे भुंतार हवाई अड्डा या कुल्लू मनाली हवाई अड्डा कहा जाता है। यह चंडीगढ़, धर्मशाला, नई दिल्ली और शिमला जैसे कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। लेकिन वर्तमान में यह हवाई अड्डा बंद पड़ा है। निकटतम कुल्लू में भुंतार हवाई अड्डा होगा।

रेल मार्ग द्वारा: क्या आप भुंतार के निकटतम रेलवे स्टेशन का अनुमान लगा सकते हैं? जी हां, भुंतार का निकटतम रेलवे स्‍टेशन पठानकोट है। यह वास्तव में एक जंक्शन है और इसका नेटवर्क पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ है। यह मुंबई, नई दिल्ली, जयपुर, जम्मू, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, जैसे कि हताई-मुरी लिंक एक्सप्रेस, हिमसागर एक्सप्रेस, सियालदह-जम्मू तवी एक्सप्रेस, झेलम एक्सप्रेस और जम्मू-तावी-अहमदाबाद एक्सप्रेस आदि।

सड़क मार्ग द्वारा: यह हिमाचल प्रदेश राज्य बोर्ड परिवहन निगम (HPSRTC) और कुछ अन्य निजी यात्रा सेवाओं के माध्यम से चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और जम्मू जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यह कुल्लू से 11 किमी, मनाली से 50 किमी, मंडी से 60 किमी, रामपुर से 105 किमी, शिमला से 195 किमी और बद्दी से 210 किमी दूर है।

बशेश्‍वर महादेव मंदिर

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इसे विश्वेश्वर महादेव मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह एक असाधारण मंदिर है जो अपनी पत्थर की नक्काशी, समतल शिकारा और चमत्कारिक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुंचना बहुत आसान है क्‍योंकि यह भुंतार हवाई अड्डे से केवल 4 किमी दूर है। 8वीं शताब्दी में इस भव्य मंदिर का उद्भव हुआ था और यह कुल्लू के सभी मंदिरों में सबसे बड़ा धार्मिक स्‍थल है।

जगन्‍नाथ मंदिर

भुवनेश्वरी देवी का स्वर्गीय निवास एक पहाड़ी पर भुंतार से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर स्थित है। आपको यकीन नहीं होगा कि यह मंदिर समुद्र तल से 5000 फीट की ऊँचाई पर है। कुल्लू शहर का एक शानदार दृश्य पहाड़ी से नज़र आता है। मंदिर का रास्‍ता बहुत खड़ा है इसलिए इस पर सावधानी से चलें।

 

jagannath

यह मंदिर भुंतार के करीब माथन पर्वत पर है और लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर काश शैली में बनाया गया है और यह पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भी आप प्रकाश की चमक से गुज़रते हैं तो शिवलिंग टुकड़ों में बंट जाता है। इसके अलावा, भक्तों का मानना है कि खेती के उद्देश्य से सच्‍चे मन से प्रार्थना करने पर बारिश हो सकती है जोकि भूमि के लिए बहुत अच्‍छा रहता है।

 

हिमालय नेशनल पार्क

national park

कुछ लोग इस पार्क को जवाहरलाल नेहरू ग्रेट इंडियन नेशनल पार्क के नाम से पहचानते हैं। यह एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और कुल्लू में भुंतार के इलाके में स्थित है। यहां बर्फ से ढकी चोटियों, फूलों से ढके अल्पाइन घास के मैदानों, भव्य ग्लेशियरों के साथ-साथ शंकुधारी जंगलों को देखकर आपका मन अचंभित हो उठेगा। यह विभिन्न प्रकार के जानवरों जैसे भूरे भालू, काले भालू, रीसस मकाक, लंगूर, जंगली भेड़ और साथ ही हिमालयन कस्तूरी मृग के लिए जाना जाता है।

आदि ब्रह्मा मंदिर

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भुंतार से लगभग 4 किमी की दूरी पर आदि ब्रह्मा मंदिर खोखन गांव में स्थित एक विशाल लकड़ी का मंदिर है। मंदिर परिसर के मध्य में भगवान ब्रह्मा की एक विशाल प्रतिमा मौजूद है। मंदिर में एक रथ है जिसमें ग्यारह चांदी की और दो पीतल की और एक अष्टधातु की मोहरें हैं।

 

कैसधर

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क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह स्थान कहां स्थित है? खैर, कुल्लू जिले में भुंतार के काफी करीब कैसधर है। इसके देवदार के पेड़ों और घास के मैदानों की वजह से पर्यटकों को ये जगह बहुत पसंद आती है। यह जगह पिकनिक स्‍पॉट भी है।

 

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