यूपी में बद से बद्तर हुई हवा, वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों और बूढों को

उत्तर प्रदेश में लगातार वायु प्रदूषण का लेवल बढ़ता जा रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वह जिले जो दिल्ली-एनसीआर से सटे हैं. वहां के हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं. गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़ और नोएडा में हवा बेहद खतरनाक स्तर पर है. हाल यह है कि यहां सांस लेना जहर लेने के बराबर है. वायु प्रदूषण को नापने वाले पैमाने के मुताबिक अगर वायु गुणवत्ता का लेवल 0-50 तक है तो वह हवा बेहद अच्छी है. 50-100 के बीच की हवा अच्छी है. वहीं 100-150 के बीच की हवा औसत मानी जाती है.

प्रदूषित हुई हवा

air-quality.com के मुताबिक इस समय गाजियाबाद 759, बुलंदशहर 513, गौतमबुद्ध नगर 637 और हापुड़ 599 अंक पार कर चुका है. जो गंभीर से भी कई गुना गंभीर है. झांसी में वायु की गुणवत्ता 157, लखीमपुर खीरी में 162, आगरा में 174 और वाराणसी में 189 अंक पार हो चुका है. लखनऊ, कानपुर और मुरादाबाद की स्थिति तो और भी गंभीर है. लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स 251, कानपुर में 275, और मुरादाबाद में 232 अंक पार कर चुका है.

 

इतने खतरनाक हालात में भी सरकार सिर्फ कारण गिना रही है. पराली को जलाना और वाहनों को वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बताया जा रहा है. वायु प्रदूषण एक बीमारी की तरह है जिसके बारे में हमें पता तो है लेकिन उपचार कोई नहीं करना चाहते. बात-बात पर सरकार को घेरने वाले विपक्षी दल भी शायद इस मुद्दे को ज्यादा तरजीह नहीं दे रहे हैं.

वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

वायु प्रदूषण सीधे तौर पर हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है. ह्रदय रोग, स्ट्रोक, सांस से संबंधी परेशानियां, आंखों में जलन, एलर्जी, खांसी, नजर का कमजोर होना, जहरीली कण शरीर में ज्यादा जाने पर उल्टी, दस्त व बुखार भी हो सकता है. बड़ों से ज्यादा ये समस्याएं बच्चों को प्रभावित करती हैं. क्योंकि उनके शरीर का विकास ठीक से नहीं हुआ होता है. बच्चों को अगर कम उम्र में सांस से संबंधित बीमारी हो जाए तो वह उम्र बढ़ने के साथ भी रहती है. जिस तरह से हवाओं का हाल है ऐसे में आप मास्क जरूर लगाए. बच्चों को खेलने के लिए बाहर न भेजिए.

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