
मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद को कम करने के लिए बनाए गये उ.प्र. नगरीय किरायेदारी विनिमन अध्यादेश-2021 को कैबिनेट की ओर से मंजूरी दे दी गयी है। इस अध्यादेश में किरायेदारी अनुबंध के आधार पर करने का प्रावधान है। वहीं किसी भी विवाद के निपटारे के लिए रेंट अथारिटी एवं रेंट ट्रिब्यूनल का प्राविधान है।

आपको बता दें कि ट्रिब्यूनल में अधिकतम 60 दिनों के अंदर वादों के निस्तारण का प्रावधान होगा। वहीं इस अध्यादेश के अनुसार बगैर अनुबंध कोई भी मकान मालिक किसी को भी अपना मकान किराये पर न दे सकेगा। इसी के साथ वह किराए में मनमानी बढ़ोत्तरी भी नहीं कर सकेगा। माना जा रहा है कि इस अध्यादेश के बाद किरायेदारी के विवाद भी कम होंगे और पुराने प्रकरणों में किराया पुनरीक्षण किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में उ.प्र. शहरी भवन अधिनियम-1972 लागू है। हालांकि इस अधिनियम के लागू होने के बाद से भवन स्वामी और किरायेदार में विवाद बढ़ गए हैं। इसी के साथ बड़ी संख्या में अदालतों में मुकदमें भी चल रहे हैं। वहीं कई जगहों पर भवन स्वामियों को संपत्तियों का उचित किराया भी नहीं मिल रहा है। इस अध्यादेश में व्यवस्था है कि मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा सकेगा। इसी के साथ आवासीय पर पांच फीसदी जबकि गैर आवासीय पर सात फीसदी सालान किराया बढ़ाया जा सकेगा।