यूपी के सरकारी विभागों पर बिजली के 8853 करोड़ बकाया

यूपीलखनऊ। यूपी विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि पावर कॉर्पोरेशन छोटे बकायेदारों का उत्पीड़न कर रहा है, जबकि सरकारी विभागों पर बिजली के 8853 करोड़ रुपए बकाया है।

अगर सरकारी विभागों का बकाया वसूल लिया जाए, तो बिजली कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है। साथ ही घरेलू ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली दर में बढ़ोतरी भी टाली जा सकती है।

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि विगत दो दिन पहले उदय स्कीम की दिल्ली में 8वीं मॉनिटरिंग कमेटी की मीटिंग में देश के कई राज्यों के वित्तीय मानकों, जिसमें एक महत्वपूर्ण मुद्दे सरकारी बकायों पर जब चर्चा हुई तो काफी चौंकाने वाली बात सामने आई। बैठक में राज्यवार 31 मार्च तक सरकारी विभागों पर बकाया के आंकड़े पेश किए गए।

इन आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश पर 8853 करोड़, तेलंगाना पर 3561 महाराष्ट्र पर 3364 करोड़, आंध्र प्रदेश पर 2828 करोड़, केरल पर 2609 करोड़, जम्मू कश्मीर पर 1868 करोड़, कर्नाटक पर 1880 करोड़ तथा बिहार पर 610 करोड़ रुपए का बकाया है।

वर्मा ने कहा कि यूपी में सरकारी विभागों में हमेशा करोड़ों का बकाया रहता है, उनके कनेक्शन भी काटे जाते हैं और सिर्फ कोरे आश्वासन के बाद कुछ ही घंटों में कनेक्शन जोड़ दिए जाते हैं। सरकार चाहे तो बजटीय प्रावधानों के अनुसार सभी विभागों का एक मुश्त बकाया पावर कॉर्पोरेशन को दिलाया जा सकता है। सही मायने में पूरे प्रदेश के सभी विभागों का बकाया वर्तमान माह तक निकाला जाए तो यह लगभग 9000 करोड़ से अधिक हो सकता है।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से विगत दिनों पावर कॉर्पोरेशन द्वारा ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में सैकड़ों गुना बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है, निश्चित तौर पर प्रदेश सरकार को हस्तक्षेप करते हुए बढ़ोतरी प्रस्ताव को खारिज कराकर आमजन को राहत देनी चाहिए।

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