म्यूजिक थेरेपी से इलाज करने वाला यूपी का पहला हॉस्पिटल बना केजीएमयू

म्यूजिक थेरेपीलखनऊ। संगीत न सिर्फ मन को सुकून देता है, बल्कि बीमारियों के इलाज में भी असरदार साबित हो सकता है। क्योंकि सांस संबंधी गंभीर रोगों में म्यूजिक थेरेपी काफी मददगार साबित हुई है। यूपी में पहली बार केजीएमयू में इस थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेटरी विभाग के वार्ड में इन दिनों कोई भी नया मरीज़ आ रहा है वह चौंक जा रहा है।

यहाँ सांस के गंभीर रोगी वार्ड में संगीत की धुन पर इलाज करा रहे हैं। पूरे वार्ड में जगह-जगह म्यूजिक सिस्टम लगाया गया है। यहाँ भजन, ग़ज़ल और हनुमान चालीसा पर ‘म्यूजिक थेरेपी’ से इलाज हो रहा है।

माना जाता है कि संगीत क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के इलाज में प्रभावी योगदान दे सकता है।

सीओपीडी दीर्घावधि की श्वसन संबंधित बीमारी है, जो सांस की तकलीफ, घरघराहट, खांसी, जुकाम और सीने में जकड़न सहित लक्षणों के साथ लगातार बढ़ती जाती है।

निष्कर्षों के आधार पर कहा जा सकता है कि म्यूजिक थैरेपी इन विकारों के परंपरागत इलाज में प्रभावी हो सकती है। केजीएमयू में इस थेरेपी से मरीज़ और तीमारदार दोनों खुश नज़र आ रहे हैं।

केजीएमयू के रेस्पिरेटरी विभाग के प्रोफेसर राजीव गर्ग की माने तो श्वसन संबंधी रोगों के इलाज में म्यूजिक थैरेपी का हस्तक्षेप इन रोगों के इलाज में म्यूजिक थैरेपी की स्थापना का एक व्यापक आधार प्रदान करता है।

लंबे समय से बीमार व्यक्तियों की देखभाल में कई नए तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसके तहत उन्हें हम संस्कृति, प्रेरणा, रुझान और दैनिक जीवन की विभिन्न गतिविधियों में शामिल कर उनके स्वास्थ्य को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

केजीएमयू यूपी का पहला ऐसा संस्थान है जहाँ म्यूजिक थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है।

भारत में संगीत की परंपरा भले ही बहुत पुरानी रही हो लेकिन संगीत से इलाज या ‘म्यूजिक थेरेपी’ की अवधारणा अभी भारतीयों में बहुत ज्यादा प्रचलित नहीं है।

म्यूजिक थेरेपी के तहत इंसान के स्वभाव, उसकी प्रोबलम्स और आसपास की परिस्थितियों के मुताबिक संगीत सुना कर उसका इलाज किया जाता है।

जैसे-जैसे इंसान संगीत की स्वर लहरियों में खोता जाता है, उसका ध्यान दूसरी बातों से हटता जाता है और वह राहत महसूस करने लगता है।

LIVE TV