मोदी के संस्कार इस महिला को आज भी हैं याद

मोदीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किस्से उनके फैंस की प्रेरणा होते हैं। सरकार के दो साल पूरे होने पर मोदी का एक किस्सा फेसबुक पर वायरल हो गया है। इस किस्से के मुताबिक तत्कालीन भाजपा सांसद नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने दो महिलाओं के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। रातभर मोदी ट्रेन की फर्श पर सोए। उनके साथ भाजपा के बड़े नेता शंकर सिंह वाघेला भी थे।

यह किस्सा कितना सच-कितना झूठ है, इसका तो आज तक पता नहीं चल सका। लेकिन इसे पढ़कर प्रेरणा तो मिलती ही है। आज के दौर में ट्रेनों में जहां लोग अपनी सीट बचाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। वहीं, मोदी ने दो अनजान महिलाओं के लिए अपनी सीट छोड़ दी।

मोदी पर फेसबुक पोस्ट

2 जनू 2014 की की इस फेसबुक पोस्ट में लिखा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वडोदरा की सीट छोड़ी है और शनिवार को गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है जिसके बारे में पूरा देश जानता है लेकिन 24 साल पहले भी मोदी ने अपनी ‘सीट’ छोड़ी थी, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

वो रात बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिल्कुल याद नहीं होगी लेकिन जिस पर उपकार होता है वह उसे जीवन में कभी नहीं भूल पाता और असम की एक महिला को भी वह रेल यात्रा आज तक याद है जब करीब तीन दशक पहले दिल्ली से अहमदाबाद के सफर में उनकी सहायता की खातिर मोदी पूरी रात ट्रेन के फर्श पर सोए थे।

ऐसा नहीं है कि असम की इन महिला को मोदी की इस सहृदयता की याद बरबस अब आई हो जब वह प्रधानमंत्री बन गए बल्कि जब वह पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो लीना सरमा ने अपने उस रात के किस्से को असम के अखबारों में तब भी किया था। संयोग की बात यह है कि उस रात के ये दो ‘हमसफर’ अपने- अपने क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंच चुके हैं। अहमदबाद-दिल्ली का सफर कर रहे मोदी देश का प्रधानमंत्री बन चुके हैं तो रेलवे सेवा के प्रोबेशनरी प्रशिक्षण के लिए अचानक उन्हें रेल में मिली लीना अब रेलवे सूचना प्रणाली की महाप्रबंधक हैं।

लीना के अनुसार 1990 की गर्मियों में जिस रात उनकी क्षणिक मुलाकात मोदी से हुई, उस समय उनके साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शंकर सिंह वाघेला भी थे। दिल्ली से अहमदाबाद की ट्रेन फुल हो चुकी थी और रेल सेवा के अगले प्रशिक्षण के लिए जा रही लीना और उनकी साथी उत्पलपर्ण हजारिका जो अब रेलवे बोर्ड की कार्यकारी निदेशक बन चुकी हैं को आरक्षण नहीं मिल पाया था। ट्रेन के टीटीई ने इन दोनों को प्रथम श्रेणी की एक बोगी में बैठा दिया जिसमें दो नेता भी सवार थे जो उनके खादी के कुर्तों से जाहिर था।

बस यहीं से एक दिलचस्प सफर शुरू हुआ। इससे पिछली ट्रेन में जब लीना लखन से दिल्ली के लिए आई थीं तो दो सांसदों के साथ सवार हुए 12 से अधिक समर्थकों ने यात्रियों का जीना मुहाल कर दिया था और उस अनुभव को याद करते हुए एक बार फिर से दो नेताओं के बीच बैठना वाकई उनके लिए असहज था। टीटीई ने लीना की हिचक को ताड़ लिया और उन्हें भरोसा दिलाया कि ये दोनों अक्सर इस रूट पर चलते हैं और भले मानस हैं। जैसे ही बर्थ का इंतजाम हो जाएगा तो वह उपलब्ध करा देंगे।

दोनों नेताओं ने एक सीट के कोने में खिसक कर इन दोनों युवतियों को जगह दे दी। कुछ देर बाद टीटीई ने बुरी खबर सुनाई कि रेल एकदम फुल है और सीट नहीं मिल पाएगी तो दोनों नेताओं ने कहा कि हम इन्हें एडजस्ट कर लेंगे। कुछ बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो उन्होंने बताया कि वे भाजपा के लिए काम करते हैं। सीनियर नेता ने जब कहा कि वह गुजरात में भाजपा के लिए काम क्यों करतीं हैं तो लीना ने उन्हें बताया कि वह असम की हैं। इस पर युवा मोदी ने कहा-तो क्या हुआ। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है।

हम अपने गुजरात में हर राज्य के टेलैंट की कद्र करते हैं। शाम ढली तो चार वेज थाली आ गईं। पेंट्री कार वाला भुगतान लेने आया तो युवा मोदी ने सबके पैसे चुका दिए। इसके बाद उन्होंने फर्श पर चादर बिछा ली और दोनों नेताओ ने इन दोनों युवतियों के लिए अपनी बर्थ छोड़ दी। इससे पहली ट्रेन के अनुभवों को देखते हुए दोनों महिलाओं को यकीन नहीं हो पा रहा था कि राजनीतिक नेता ऐसा भी हो सकते हैं।

अगली सुबह जब रेल अहमदाबाद पहुंचने को हुई तो वरिष्ठ नेता ने लीना से पूछा कि शहर में ठहरने का ठिकाना तो है। उन्होंने यकीन दिलाया कि कोई भी दिक्कत हो तो वे उनसे बेहिचक सम्पर्क कर लें। लीना ने अब उनके नाम नोट करने में दिलचस्पी ली, अपनी डायरी निकाली और युवा नेता के सामने कर दी। उस डायरी के पन्ने पर युवा नेता ने अपना नाम नरेंद्र दामोदार मोदी लिखा और अपने साथी वरिष्ठ नेता का नाम शंकर सिंह वाघेला। लीना ने वह डायरी आज तक सहेजकर रखी है जो उनके जीवन का अविस्मरणीय हिस्सा बन गई है।

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