अपना ही वादा भूल गए पीएम मोदी, एक छोटी सी चूक से विपक्ष को दिया हंसने का मौका

मोदी की चूकनई दिल्ली। देश के विकास में बदलाव की अत्यधिक अहम भूमिका है। इस विषय में हम अक्सर चर्चा-परिचर्चा भी सुनते रहते हैं। देश में पीएम का पद संभालने के बाद से नरेंद्र मोदी भी देश में बदलाव लाने की अक्सर बड़ी-बड़ी बातें करते रहे हैं। लेकिन ऐसे कई वाकये सामने आए हैं जिनमे पीएम मोदी ने किसी काम को करने की सलाह लोगों को तो दी पर खुद पर उसका इम्प्लीमेंट नहीं कर पाए। ऐसा ही एक ताजा वाकया सोमवार को हुआ जब उन्होंने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर एक पोस्ट किया। इस पोस्ट में पीएम नरेंद्र मोदी की चूक साफ नज़र आई जिसने विपक्ष को हंसने का मौका दे दिया।

सोमवार 19 जून को एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की गई। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बिहार के मौजूदा राज्यपाल के नाम का ऐलान हुआ।

रामनाथ कोविंद के नाम के ऐलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालाय में उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात में पीएम मोदी ने रामनाथ कोविंद का स्वागत फूलों के गुलदस्ते के साथ किया।

इस मुलाकात की जानकारी प्रधानमंत्री ने खुद अपने ट्वीटर अकाउंट पर तस्वीर शेयर करते हुए दी। प्रधानमंत्री ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- आज रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।

इस तस्वीर के सामने आते ही प्रधानमंत्री का दो दिन पहले 17 जून को दिया गया बयान वायरल होने लगा।

इस बयान में प्रधानमंत्री ने कहा था- मैं अपील करता हूं कि जब आप किसी से मिलें उसे गुलदस्ते की जगह किताब भेंट करें। ये छोटा सा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है। पीएम के इस बयान को प्रधानमंत्री कार्यालय के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी किया गया था।

इस ट्वीट के दो दिनों बाद ही प्रधानमंत्री खुद फूलों के गुलदस्ते के साथ रामनाथ कोविंद से मुलाकात करते नजर आ गए।

अब यूजर्स उनकी तस्वीर के साथ उनका पुराना ट्वीट रिट्वीट कर रहे हैं। फेसबुक पर भी उनकी तस्वीर और पुराने ट्वीट को जोड़कर चुटकी ली जा रही है।

एक फेसबुक यूजर ने पीएम के पुरानी ट्वीट और ताजा तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा- ‘जो मैं कहता हूं वो नहीं करता… और जो नहीं कहता वो तो करता हूं ही नहीं… बुक भेंट की वकालत करने वाले पीएम बुके भेंट करते हुए।’

इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि जिस काम की इच्छा हम दूसरों से करते हैं, उसे पहले खुद पर एप्लाई जरूर करना चाहिए। अन्यथा परिणाम स्वरुप बदलाव की कोशिश नाकाम हो जाती है।

एक महान कहावत है कि यदि आप दूसरों में बदलाव देखना चाहते हैं तो पहले खुद से बदलाव की आशा करें।

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