मेनका गांधी की चिट्ठी से उत्तराखंड सरकार में खलबली, अफसरों पर लटकी तलवार

पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी द्वारा उत्तराखंड़ के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भेजे गए पत्र से सियासी पारा बढ़ गया है। दरअसल, नैनीताल जिले के बैलपड़ाव और उधमसिंह नगर के बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का आदेश हुआ है। सरकार का दावा है कि दोनों स्थानों पर ऐसी झील होगी जहां प्रवासी पक्षी आ सकेंगे।

वहीं इसपर मेनका गांधी ने आरोप लगाया कि माइग्रेटरी बर्ड ऐसे नहीं आती है और यह सारा खेल खनन माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। ऐसा करने से आसपास के क्षेत्रों में वन्य जंतुओ का जीवन प्रभावित होगा। कुल मिलाकर यह पूरा मामला नेता, अफसर और खनन माफियाओं का गठजोड़ प्रतीत हो रहा है।

मेनका गांधी की चिट्ठी से उत्तराखंड सरकार में खलबली, चर्चा में अफसर, खनन माफिया और कुछ सफेदपोश के नाम

मेनका गांधी ने 26 अक्टूबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर पूछा कि क्या इन दोनों स्थानों (बैलपड़ाव और बाजपुर) पर माइग्रेटेड पक्षियों का आना जाना है? यदि आते हैं तो कौन कौन से माइग्रेटड पक्षी यहां आते हैं? कृत्रिम जल निकाय बनाकर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होने में सालों लग जाते हैं, जिन स्थानों पर माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का फैसला लिया गया है वो खनन माफियाओं द्वारा तैयार कराया गया है। मेनका के इस पत्र का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला और अभी तक शासनादेश भी वापस नहीं हुआ। इसी दौरान उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन अभियान शुरू हो रहा था तो ये मामला बीच में कहीं छूट गया।

वहीं जब तीरथ रावत मुख्यमंत्री बने तो इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। ऐसे में यह मामला फिर उजागर हो गया। जब इसकी भनक मेनका गांधी को लगी तो उन्होंने 23 जून 2021 को एक पत्र मुख्यमंत्री तीरथ रावत को भेजा। जिसमें पिछले पत्र में जिन बिंदुओं का जिक्र था उनका दोबारा जिक्र करते हुए जवाब चाहा है।

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