नाबालिग उम्र में जयललिता ने किया था एडल्ट फिल्म में काम, सरकार ने लगाई थी रोक

मुख्यमंत्री जयललितानई दिल्ली। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की पांच दिसंबर को मौत हो गयी। लेकिन उनकी यादें लोग अपने दिलों से निकाल नहीं पाएंगे। जहां सियासी मंच पर उन्होंने अपनी धाक जमाई। वहीं अपनी युवा अवस्था के दौरान उन्होंने लाखों दिलों पर राज किया। फ़िल्मी करियर की बात की जाए तो महज 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली तमिल फिल्म की थी। लेकिन इस फिल्म को उन्हें देखने की अनुमति नहीं थी। वजह थी कि उनकी फिल्म में एक सीन ऐसा था जिसकी वजह से उस फिल्म को ‘एडल्ट’ बैनर के अंतर्गत रिलीज किया गया था। तो भला नावालिग़ होने के नाते वो कैसे इसे देख सकती थीं।

मुख्यमंत्री जयललिता

साल  1965 में मुख्यमंत्री जयललिता ने पहली तमिल फिल्म “वेन्निरा अदाई” (सफेद लिबास) की थी। माना जाता है कि उनकी फिल्म को एक गाने की वजह से एडल्ट सर्टिफिकेट दिया गया था।

इस गाने में स्लीवलेस ब्लाउज और साड़ी में नाचती जयललिता को झरने में नहाते हुए दिखाया गया था। सेंसर बोर्ड को ये दृश्य नागवार गुजरा।

फिल्म में जयललिता ने एक विधवा का रोल किया था जिसके पति की शादी के कुछ ही घंटे बाद मौत हो गई थी और इस सदमे के वजह से वो मानसिक संतुलन खो बैठी।

जयललिता को फिल्मों में लाने का श्रेय उनकी मां और मौसी को जाता है जो तमिल फिल्मों की अभिनेत्रियां थीं।

आर्थिक तंगी के कारण उनकी मां ने महज 13 साल की उम्र में उन्हें बाल कलाकार के तौर पर फिल्मों में काम कराना शुरू कर दिया।

हालांकि जयललिता पढ़ाई में बहुत तेज थीं और दसवीं की परीक्षा में वो अपने बोर्ड में पूरे राज्य में अव्वल रही थीं।

वालिग़ कलाकार के तौर पर उन्होंने 1964 में कन्नड़ फिल्म चिन्नादा गोमबे (सोने की गुड़िया) से शुरुआत की।

इसी साल उन्होंने एक अंग्रेजी फिल्म “एपिस्ल” भी की थी। 1965 में उन्होंने अपनी पहली तेलुगु फिल्म (मानुसुलु ममतालु) और तमिल फिल्म (वेन्निरा अदाई) की।

उन्होंने बालिग कलाकार के तौर पर अपनी पहली और आखिरी हिंदी फिल्म ‘इज्जत’ 1968 में की जिसमें धर्मेंद्र और तनुजा उनके साथी कलाकार थे।

जयललिता ने अपने करीब दो दशक लंबे फिल्मी सफर में करीब 300 फिल्मों में अभिनय किया। तमिल, कन्नड़ और तेलुगु फिल्मी जगत में वो बेहद सफल अभिनेत्री बनीं।

जयललिता ने अपनी आखिरी फिल्म 1980 में की। उसके बाद वो राजनीति में आ गईं। एआईएडीएमके ने 1984 में उन्हें पहली बार राज्य सभा सांसद बनाया।

1987 में एमजीआर के निधन के बाद जयललिता को पार्टी के अंदर सत्ता के लिए संघर्ष करना पड़ा लेकिन आखिरकार वो पार्टी की निर्विवाद नेता बनकर उभरीं।

1991 में वो पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। 1989 से 2016 के बीच उन्होंने चार बार तमिलनाडु विधान सभा चुनाव जीता।

मई 2016 में उन्होंने छठवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 5 दिसंबर को करीब दो महीने लंबी बीमारी के बाद चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उनका निधन हो गया।

उनके निधन पर पूरे देश को शोक है। देश के प्रधानमंत्री मोदी समेत बड़े-बड़े नेताओं और अभिनेताओं ने उन्हें अंतिम विदाई दी।

वहीं यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा कि देश ने एक जन-कल्याणकारी नेता खो दिया है। उनकी अमिट छाप की भरपाई नामुमकिन है।

देखें वीडियो :-

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