
‘मुक्काबाज’ फिल्म से सुर्खियों में आए एक्टर विनीत कुमार सिंह को तो सभी जानते ही हैं. इस फिल्म से अपनी एक्टिंग का दम दिखाने वाले विनीत को दर्शकों से लेकर आलोचकों तक से खूब तारीफ मिली थी. इस मूवी के बाद से वे रातों रात फेमस हो गए हैं. बनारस से मुंबई पहुंचे विनीत का फिल्मी सफर मुश्किलों से भरा रहा है.
आइए आपको बताते हैं मुंबई में गुमनाम भटकते एक स्ट्रगलर से लेकर ‘मुक्काबाज’ बनने तक की एक्टर विनीत कुमार सिंह की कहानी.
विनीत कुमार सिंह का जन्म (24 अगस्त) बनारस में हुआ था. फिल्मों में आने से पहले विनीत ने आयुर्वेद में डॉक्टर की पढ़ाई की थी. उनके पास डॉक्टरी में MD की डिग्री है.
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विनीत साल 2005 में एक टैलेंट हंट शो ‘सुपरस्टार्स टैलेंट हंट’ में हिस्सा लेने मुंबई आए थे. यहां वो एक्टर-डायरेक्टर महेश मांजरेकर से मिले. महेश मांजरेकर ने 2010 में आई अपनी फिल्म ‘सिटी ऑफ गोल्ड’ में विनीत को एक बड़ा रोल दिया था.
विनीत साल 2007 में राहुल बोस की फिल्म ‘चैन कुली की मैंन कुली’ में भी नजर आए थे. ये फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई थी.
2012 की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में पहली बार विनीत कुमार सिंह को नोटिस किया गया था. वहीं 2013 में विनीत, अनुराग कश्यप की फिल्म ‘बॉम्बे टॉकीज’ में एक छोटे से रोल में नजर आए थे.
विनीत ने 2013 में आई फिल्म ‘शॉर्ट्स’ की एक कहानी ‘शोर’ में लल्लन का रोल किया था. विनीत ने 2014 में अनुराग कश्यप की फिल्म ‘अग्ली’ (Ugly) में किडनैपर चैतन्य मिश्रा का किरदार निभाया था.
विनीत को लगभग 17 साल तक बॉलीवुड में स्ट्रगल करना पड़ा.
फिल्म ‘मुक्काबाज’ के लिए विनीत ने असल जिंदगी में बॉक्सिंग सीखी थी. इस फिल्म के रोल के लिए विनीत ने कड़ी मेहनत से एक बॉक्सर जैसी बॉडी बनाई थी. आखिर में उनकी मेहनत रंग लाई और फिल्म की और उनके काम की खूब सराहना हुई.