नन्‍ही वैशाली को मोदी ने दिया ‘नया जीवन’

माेदी की मददपुणे। शहर के हड़पसर में सात साल की एक बच्ची ने अपने इलाज के लिए नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा था। लेटर लिखने के 5 दिन बाद मोदी ने उसे जवाब दिया। इसके बाद पीएमओ से डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को लेटर लिखकर बच्ची की मदद करने को कहा और अब माेदी की मदद से उसके हार्ट की फ्री सर्जरी की गई है। बच्ची के हार्ट में छेद था। उसके पिता पेंटर का काम करते हैं। फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी नहीं होने के कारण वो उसके ऑपरेशन के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहे थे।

माेदी की मदद से हुआ इलाज

गरीब परिवार की वैशाली यादव के दिल में छेद था। पेशे से पेंटर उसके पिता की ऐसे स्थिति नहीं थी कि वह महंगी हार्ट सर्जरी का खर्च उठा सके। हालत यह थी कि बेटी की दवा के लिए उसके खिलौने और साइकिल तक बेचनी पड़ी थे। कक्षा दूसरी की छात्रा ने तब पीएम मोदी को पत्र लिखा। उसने खराब सेहत और घर की माली हालत को जिक्र करते हुए माेदी की मदद मांगी। एक हफ्ते के भीतर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने पुणे के जिला प्रशासन को लड़की की मदद करने को कहा।

प्रशासन ने परिवार का पता लगाया और लड़की को शहर के रुबी हॉल क्लिनिक में भर्ती कराया। उसकी दो जून को सर्जरी हुई और अब वह स्वस्थ हो रही है। लड़की के चाचा प्रताप यादव ने कहा, ‘वैशाली के दिल में छेद था। कई अस्पतालों में दिखाने के बाद पता चला कि सर्जरी पर तीन लाख रुपये का खर्च आएगा। गरीबी के चलते हमारे लिए सर्जरी कराना संभव नहीं था। एक महीने पहले वैशाली टीवी देख रही थी। उसने टीवी पर प्रधानमंत्री मोदी को देखने के बाद पत्र लिखने का फैसला किया। उसने अपने स्कूल का आइडी कार्ड लगाकर पत्र को पोस्ट करने के लिए दिया था।’

वैशाली के पिता और चाचा ने उसके इलाज के लिए कई एनजीओ और राजनीतिक पार्टियों से मदद के लिए गुहार लगाई लेकिन किसी से मदद नहीं मिली। पिता और चाचा की यह सारी मेहनत देख रही वैशाली ने एक दिन टीवी पर मोदी सरकार का ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ विज्ञापन देख पिता से नरेंद्र मोदी से लेटर लिखने को कहा। उसके चाचा ने कहा कि तुम ही अपने शब्दों में अपने हाथों से यह लेटर लिखो। 20 मई को वैशाली ने पीएम मोदी को लेटर लिखा। इसके साथ उसने अपनी स्कूल की आईडी और मोबाइल नंबर भी दिया था। 27 मई को पीएमओ ने यह लेटर देख पुणे के कलेक्टर सौरभ राव को इस बच्ची के इलाज को लेकर आदेश दिया। इसके बाद प्रशासन के अधिकारी वैशाली के घर गए लेकिन उन्हें उसका पता नहीं चला। बाद में उसके स्कूल गए और वहां से उसका पता चला। वैशाली की औंध स्थित जिला सरकारी अस्पताल में जांच कराई गई। इसके बाद उसे 4 जून को रुबी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। जहां उसका ऑपरेशन हुआ। मंगलवार 7 जून को उसे डिस्जार्च कर दिया गया।

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