मायावती ने कहा – सहारनपुर में इमरान मसूद की राह नहीं होगी आसान

सहारनपुर: पश्चिम उत्तर प्रदेश के देवबंद में महागठबंधन की रविवार को हुई संयुक्त रैली के बाद सहारनपुर लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदले हुए नजर आ रहे हैं| इस मुस्लिम बहुल सीट पर महागठबंधन की ओर से बहुजन समाज पार्टी के हाजी फजलुर्रहमान, कांग्रेस की ओर से इमरान मसूद और बीजेपी की ओर से राघव लखन पाल मैदान में है|

सहारनपुर सीट पर दो मुस्लिम उम्मीदवार के मैदान में होने के चलते महागठबंधन को मुस्लिम वोटों के बिखराव का भय साफ नजर आया| यही वजह रही कि मायावती ने मुसलमानों से वोट की सीधी अपील करके कांग्रेस के इमरान मसूद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं|

गठबंधन के मंच से मायावती ने सहारनपुर के मुसलमानों को बार-बार सचेत करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में अपने वोट को बंटने नहीं देना है| कांग्रेस इस लायक नहीं है कि वो बीजेपी को टक्कर दे सके, जबकि महागठबंधन के पास मजबूत आधार है|

ऐसे में अपने वोटों का बिखराव नहीं होने देना है और एकजुट होकर गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में वोट करना है| मायावती ने कहा कि ये बात कांग्रेस को भी पता है, लेकिन वह ये मानकर चल रही है कि कांग्रेस न जीते तो गठबंधन भी न जीते. ऐसे मंसूबों को कामयाब नहीं होने देना है|

मायावती की अपील से मुस्लिमों में बड़ा संदेश-

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सहारनपुर सीट पर बसपा ने बहुत पहले ही अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया था| जबकि कांग्रेस की ओर से किसी भी उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं था| ऐसे में कांग्रेस ने जब देखा कि बसपा उम्मीदवार मुस्लिम है तो उन्होंने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतार दिया| सहारनपुर में कांग्रेस के पास कोई दूसरा वोट नहीं है| जबकि बसपा का अपना बेस वोट है. अब तो सपा के साथ आरएलडी का जाट वोट भी हमारे साथ है| ऐसे में मुस्लिम किसी भी बहकावे में आकर अपने वोट को न बंटने दें, बल्कि बल्कि बसपा उम्मीदवार हाजी फजलुर्रहान के पक्ष में वोट करें|

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वोटरों का गणित भी इमरान के पक्ष में नहीं-

सहारनपुर लोकसभा सीट पश्चिमी यूपी में नतीजों, राजनीतिक और जातीय समीकरण के हिसाब से काफी मायने रखती है| बीजेपी ध्रुवीकरण और बंटवारे के बल पर अपनी जीत को बरकरार रखने की उम्मीद लागए हुए है| वहीं, कांग्रेस के इमरान मसूद मुस्लिम मतों के सहारे संसद पहुंचने की कवायद में है| जबकि सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के हाजी फजलुर्रहमान अपनी कामयाबी दलित, मुस्लिम और जाट मतों के सहारे देख रहे हैं|

राजनीतिक समीकरण के लिहाज से देखें तो सहारनपुर लोकसभा सीट पर कुल 17,22,580 वोटर हैं. इनमें करीब छह लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख दलित, पचास हजार के करीब जाट मतदाता हैं|

ऐसे में महज मुस्लिम वोटर के सहारे जीत नामुमकिन सी नजर आ रही है| मुजफ्फरनगर संप्रदायिक दंगे के चलते पिछले लोकसभा चुनाव पूरी तरह से ध्रुवीकरण की बुनियाद पर हुआ था, जिसमें मुसलमानों ने एक तरफा कांग्रेस को समर्थन दिया था और हिंदू मतदाता बीजेपी के साथ चले गए थे. यही वजह रही कि राघव लखनपाल कमल खिलाने में कामयाब रहे थे|

इमरान मसूद राजनीजिक परिवार से आते हैं| एक दौर में सहारनपुर की राजनीति में काजी परिवार का बड़ा दखल था| इमरान अपने बयानों को लेकर विवादों में भी रहे हैं, लेकिन उनकी हार का सिलसिला लगातार जारी है|

विधानसभा और लोकसभा मिलाकर पिछले चार चुनाव से वो हार रहे हैं| इमरान को 2014 की हार का हिसाब लेने के लिए जोर लगाना होगा, लेकिन इस बार आंकड़ों के लिहाज से मजबूत गठबंधन के फजलुर्रहमान उनके लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं|

देवबंद के रहने वाले चौधरी राशिद कहते हैं सहारनपुर सीट पर किसी एक वोटबैंक के सहारे कोई नहीं जीत सकता है| कांग्रेस के साथ जो भी वोट है वो एक समुदाय का है|

लेकिन गठबंधन के साथ दलित, मुस्लिम और जाट एकजुट हो रहे हैं| इसलिए आंकड़ो के लिहाज से बसपा के फजलुर्रहमान ही बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं| इस बात को मायावती ने भी अपने भाषण में साफ कहा है|

दरअसल दलित, जाट और मुस्लिम मतों की एकजुटता से बसपा उम्मीदवार हाजी फजलुर्रहमान की राह आसान बनती है, लेकिन तीनों समुदाय को जोड़ने की बड़ी चुनौती है|

मायावती की चुनावी रैली से मुस्लिम और दलित मतदाता को एकजुट करने के लिए बड़ा संदेश गया है| भीम आर्मी के चंद्रशेखर के पोस्टर जिस तरह बसपा की रैली में नजर आए हैं, उससे साफ है कि भीम आर्मी भी कहीं न कही गठबंधन के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है|

वहीं, बीजेपी फिर मुस्लिमों के भ्रम में अपना भविष्यी देखने की कोशिश कर रही है| बीजेपी का पूरा जोर ध्रुवीकरण पर है| पार्टी मुस्लिमों में बंटवारा तय मानकर एक बार फिर कमल खिलाने का ख्वाब देख रही है| लेकिन देवबंद की रैली के बाद मुसलमानों में एकजुट होने की लगातार कोशिशें तेज हो गई हैं, जिससे इमरान की राह काटों भरी नजर आ रही है|

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