मानवीय छेड़छाड़ के कारण घटते प्राकृतिक जलस्त्रोत, शुरू हुई स्वजल योजना

रिपोर्ट-कुलदीप राणा आजाद
रूद्रप्रयाग- अपने अमृत जैसे जल के लिए जाने जाने वाले दूवभूमि के पहाड़ों में प्राकृतिक जल स्रोत धीरे-धीरे सुख रहे हैं, ये ऐसा संकेत है जिससे साफ झलकता है कि अगर जल ही खतरे में है तो मानव सभ्यता का कल भी खतरे में है।

मानवीय छेड़छाड़
जल ही जीवन है लेकिन पहाड़ों में मानवीय छेड़छाड़ के कारण अब यही जल संकट में है, धीरे धीरे प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं, और लोग अब दिन-प्रतिदिन बढ़ते पेयजल संकट के कारण बूंद-बूद के लिए मोहताज हो रहे हैं, सबसे पहले हम आपको रूदप्रयाग जिले में पड़ने वाले खांकरा ग्रामपंचायत केे छांतीखाल गांव की कहानी बताते हैं।

छांतीखाल गांव के ग्रामीण वर्षो से गांव के ऊपर स्थित प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर थे, पूर्वजों द्वारा अपने इष्ट देव नागेन्द्र देवता के नाम पर रखे इस जल स्रोत से पेयजल के साथ ही खेतों की सिंचाई तक की जाती थी, लेकिन बीते 5 वर्ष पूर्व गांव में विकास के लिए सड़क बनी तो सड़क जल्द बनाने के लिए किए गये ब्लास्टिंग के बाद ये जल स्रोत सुखने लगा और अब यहाॅ गांव के जल स्रोत में एक बूंद पानी का भी नही है।

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ये कहानी अकेले रूद्रप्रयाग के छांतीखाल गांव की नही बल्कि ऐसे सैकड़ो गांव पहाड़ में हैं जहाॅ प्राकृतिक जल स्रोत किसी न किसी कारण से सूख गये हैं, यही नही सरकार द्वारा बनायी गई पेयजल लाईनों के जल स्रोत भी धीरे-धीरे सूख रहे हैं, आंकडो की अगर बात की जाए तो जल संस्थान रूद्रप्रयाग 278 पेयजल योजनाओं के 300 पेयजल स्रोत हैं जिनमें से 28 स्रोत या तो सुख चुके हैं या फिर सुखने की कगार पर है।

वही स्वजल योजना रूद्रप्रयाग के भी 1642 जल स्रोत हैं, जिसमें से करीब 10 प्रतिशत स्रोत या तो सुख चुके हैं या फिर सुखने की कगार पर हैं, डीएम मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि इस बार 54 ग्राम पंचायतो में लोगों की सहभागिता से जल संरक्षण का कार्य करवाया गया है, अगर सड़क निर्माण में विस्पोट करने से जल स्रोत सुख रहे हैं तो विभाग तो इसकी जिम्मेदारी विभाग की ही होगी।

 

 

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