नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा; मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-  देवी दर्शन यात्रा में आज हम आपके करायेंगे माँ के नौवें स्वरूप के दर्शन नवरात्रि के अंतिम यानि नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री के दर्शन का महात्व है। धर्म की नगरी काशी में रात के तीसरे पहर से ही माता के दर्शन का ताता लगा रहा! मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है।

 

शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी जी की उपासना करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से शिव जी का स्वरूप अर्द्धूनारीश्वर का हो गया था। जिसके कारण काशी नगरी में इनके दर्शन की महत्ता और बढ़ जाती हैं।

मार्कण्डेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व ये आठ सिद्धियां बतलाई गई हैं। इन सिद्धियों को देने के कारण मां सिद्धिदात्री हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से उनका आधा शरीर स्त्री का हो गया था और वे अर्द्ध नारीश्वर कहलाए।

मां सिद्धिदात्री सिंह वाहिनी चतुर्भुजा तथा सर्वदा प्रसन्नवदना हैं। उनका ध्यान हमारी शक्ति व साम‌र्थ्य को सृजनात्मक व कल्याणकारी कर्मो में प्रवृत्त करता है। प्रतिकूलता व विषमताओं में भी हमें धैर्य, साहस व उत्साह प्रदान कर क‌र्त्तव्य के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। हमारे विकास में बाधक दु‌र्व्यसनों व दुष्प्रवृत्तियों को समाप्त कर हमारी चेतना को ऊर्ध्व गामी बनाता है। हमारे गुणों व विशेषताओं का संवर्धन हमें वास्तविक सुख, शांति व आनंद की अनुभूति कराता है। हमारी अनियंत्रित महत्वाकांक्षा, लोभ, अहंकार आदि दुर्गुणों पर नियंत्रण करने की शक्ति प्रदान कर हमें कर्मयोगी जीवन जीने की कला सिखाता है। जिनके दर्शन मात्र से सरे दुखों का नाश हो जाता है ..

नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवान्न का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करना चाहिए। इस प्रकार नवरात्रि का समापन करने से इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी सिद्धिदात्री मां सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।

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