औषधीय गुणों से हैं भरपूर महुआ के ये फूल…

महुआ के फूल की बहार मार्च-अप्रैल में आती है और मई-जून में इसमे फल आते हैं। इसके पेड़ के पत्ते, छाल, फूल, बीज की गिरी सभी औषधीय रूप में उपयोग की जाती है। इसके पत्ते हथेली के आकार और बादाम के जैसे मोटे होते हैं। महुआ की लकड़ी बहुत वजनदार और मजबूत होती है। इसे खेत, खलिहानों, सड़कों के किनारों पर और बगीचों में छाया के लिए लगाया जाता है | महुआ का फूल सफेद, कच्चे फल हरे रंग के और पकने पर पीले तथा सुखने पर लाल व हलके मटमैले रंग के हो जाते है। महुआ के फलों मे शहद जैसी महक होती है। इस पेड़ की तासीर ठंडी होती है। जिवनीय द्रव्य : संस्कृत में इस पेड के संदर्भ में यह कहा गया है की महुआ के काढे ( जडे, तना, पत्ते, फूल और फल ) का रोजाना सेवन करने से व्यक्ति का शरीर जीवन भर निरोगी रहता है।

औषधीय गुणों से भरपूर, महुआ के ये फूल...
महुआ का पेड वात, गैस, पित्त और कफ को शान्त करता है और रक्त को बढाता है। घाव को जल्दी भरता है । यह पेट के विकारों को भी दूर करता है। यह खून में खराबी, सांस के रोग, टी.बी., कमजोरी, खाँसी, अनियमित मासिक धर्म, भोजन का अपचन स्तनो मे दुध की कमी तथा लो-ब्लड प्रेशर आदि रोगो को दूर करता है। महुआ में कैल्शियम, आयरन, पोटॅश, एन्जाइम्स, एसिडस आदि काफी मात्रा में होता है | पत्तों में क्षाराभ, ग्लूकोसाइड्स, सेपोनिन तथा बीजों में 50-55 प्रतिशत स्निग्ध तेल निकलता है, जो मक्खन जितना चिकना होता है। इसके फूलों में 60 प्रतिशत शर्करा होती है।

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इसके फूलो के अंदर अत्यंत मीठा-गाढ़ा, चिपचिपा रस भरपूर होता है। मिठास के कारण मधुमक्खियाँ इसे घेरे रहती हैं। फूलो के अंदर जीरे जैसे कई बीज होते है जो अनुपयोगी है। इसका पेड़ उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, गुजरात तथा महाराष्ट्र में अपने आप ही उग जाता है तथा कुछ लोग इसकी खेती भी करते है। जहाँ महुआ के पेड़ बहुतायत में हैं, वहाँ फूल पर्याप्त मात्र में मिलते हैं। गरीब तथा आदिवासी लोग इनको इकट्ठा कर लेते हैं। सुखाकर भोजन तथा अन्य में कई रूपों में इसका इस्तेमाल करते हैं। स्थानीय व्यापारी इन लोगों से सूखे फूल तथा बीज बड़े सस्ते में खरीद लेते हैं।

सावधानी : महुआ के फूलों का अधिक मात्रा मे सेवन करने से या इसके फूलो की महक देर तक सूंघने से मदहोशी, सिरदर्द शुरु हो जाता है। परंतु इस साइड इफ़ेक्ट को दूर करने में धनिया का सेवन करना चाहिए।

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महुआ के औषधीय उपयोग तथा फायदे

  • आयुर्वेदिक चिकित्सा शास्त्रों में महुआ अनेक रोगों के सफल इलाज में कारगर है। कफजन्य रोगों में यह बहुत उपयोगी है।
  • सर्दी-ठंडी : सर्दी की शिकायत में महुए के फूलों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए या फूलों को दूध में उबालकर पीना चाहिए, साथ ही फूले हुए फूलों को अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए।
  • जुकाम, गले में खराश : महुए के ताजा या सूखे फूल, लौंग, कालीमिर्च, अदरक या सौंठ इन सबको एक जगह पीसकर इसका काढ़ा बनाएँ। हलका गरम काढ़ा पीकर कपड़ा ओढ़कर लेट जाएँ। इससे जुकाम-सर्दी में बड़ी राहत मिलती है। साथ ही सर्दी से होने वाला बुखार भी उतर जाता है।
  • दर्द, वायुदर्द-शरीर के किसी भी भाग में दर्द हो, जोड़ों का, वायु का दर्द या मांसपेशियों में दर्द अथवा पसलियों में दर्द हो तो प्रभावित अंग अथवा स्थान पर महुए के तेल की मालिश कुछ दिनों तक करनी चाहिए। किसी भी तेल की मालिश करने के बाद ठंडे स्थान पर न बैठे।
  • पीरियड की गड़बड़ी : जिन स्त्रियों को पीरियड समय पर न आकर आगे-पीछे आता हो अधिक कष्टकारक हो या कम-ज्यादा मात्रा में आता हो तो इसके आने के एक सप्ताह पहले से महुए के फूलों का काढ़ा बनाकर रोजाना सुबह शाम सेवन करना चाहिए।
  • दुग्ध-वृद्धि : स्तनपान करानेवाली महिलाओं तथा नव प्रसूता स्त्रियों को पर्याप्त मात्रा में दूध न उतरता हो तो महुए के ताजा फूलों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। ताजा फूल उपलब्ध न रहने पर सुखाए हुए फूल किशमिश की तरह चबाकर खाने चाहिए।
  • पुरानी खाँसी, कुकुर खाँसी : पुरानी खाँसी के मरीजों को महुआ के फूल के 15-20 दाने एक गिलास दूध में खूब उबालकर रात में सोने से पहले सेवन करने चाहिए। फूलों के बीच से जीरे जैसे दानो को निकाल देना चाहिए। दो सप्ताह के लगातार सेवन से पुरानी खाँसी भी ठीक हो जाती है।
  • बच्चों को सर्दी : छोटे-बच्चों को सर्दी की शिकायत होती रहती है। इसमें नाक बहने लगती है। तथा पसलियाँ भी चलने लगती हैं, इसके लिए प्रभावित स्थान या पूरे शरीर की महुए के तेल से मालिश करनी चाहिए। घर में महुए का तेल अवश्य रखना चाहिए।
  • साँप या विषैले कीड़े के काटने पर दंश स्थान पर महुआ के फूलों को बारीक पीसकर लेप कर देना चाहिए। इससे जहर का असर दूर हो जाता है।
  • आँखों की बीमारी में : महुआ के फूलों का शहद (देसी) आँखों में लगाने से आँखों की सफाई हो जाती है। इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है। आँखों की खुजली तथा इनसे पानी आना बंद हो जाता है। यह शहद बहुत गुणकारी होता है। जिन बच्चों के दाँत निकल रहे हों, उन्हें यह रोजाना चटाना चाहिए, इससे दाँत आसानी से निकल आते हैं।
  • अपस्मार (मिर्गी): महुआ के बिज के अंदर का सफेद गुदे का रस रोजाना तीन बूंदे नाक मे डाले इससे रोगी को राहत मिलती है। इसके अलावा छोटी पीपल, बच, कालीमिर्च व महुआ और पीसे हुए सेंधानमक को पानी में मिलाकर नाक से लेने सेभी रोगों जल्दी स्वस्थ हो जाता है |
  • घुटनो मे दर्द : बकरी के दुध में महुआ के फूलों को पका कर पिने से घुटने का दर्द ठीक होता है।
    फोडे फुंसी : महुआ के फूल को घी मे पीसकर फुंसी पर बांधने से आराम मिलता है।
  • मुँह, नाक से खून आना : महुआ के फुल का रस 2 चम्मच सेवन करने से मुंह और नाक से खून आना बंद हो जाता है।
    दस्त लगना : महुआ के फूलों को पानी में भिगोकर उसे अच्छी तरह उबाल कर छान ले, इस पानी को दिन में 3 से 4 समय लेने पर दस्त लगना बंद हो जाती है।
    कमजोरी : 50 ग्राम महुआ के फूलों को एक ग्लास दुध मे उबालकर खांए और ऊपर से वही दुध सेवन करे इससे शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।
    दांत का दर्द : महुआ की टहनी से दातून करने से दांत का हिलना बंद हो जाता है। और मसूडो से खून आना बंद हो जाता है।
  • बवासीर : बवासीर के रोगी को इसके फूलों को देसी घी में भूनकर कुछ दिनों तक खिलाना चाहिए। ये दर्द कम करने वाली हर्ब होने के कारण मरीज की पीड़ा को कम कर देते हैं तथा बवासीर में भी आराम पहुँचाते हैं।
  • गठिया रोग : 20 से 40 मि.ली लिटर महुआ के छाल का काढ़ा बनाकर उसे सेवन करने और गठिया के दर्द मे महुआ की छाल को पिसकर, गर्म कर इसका लेप करने पर गठिया रोग ठीक हो जाता है।
  • चेहरे के दाग : 20 से 40 मि.ली लिटर पानी मे महुआ की छाल का काढा सुबह शाम रोगी को पिलाने से चेहरे के दाग धब्बे दूर होते है।

महुआ के अन्य सामान्य उपयोग :
महुआ के फूल के फायदे तथा बेहतरीन औषधीय गुण

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महुआ का पेड़

बीजों से निकाला तेल खाना बनाने तथा साबुन बनाने में उपयोगी है। इसकी खली को अच्छी खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।
फल का बाहरी भाग सब्जी बनाकर खाया जाता है। अंदर के भाग को पीसकर आटा बना लिया जाता है। इसके फूलों से शराब बनाई जाती है जो एक गैर कानूनी काम है। सभ्यता की शुरुवात से ही सबसे पहले जनजाति के द्वारा महुआ के फूलों से देसी शराब का आविष्कार किया गया था, जो की उनके द्वारा एक औषधी के रुप में लिया जाता रहा है।
सूखे फूल किशमिश के समान मिठाइयों, हलवा, खीर आदि व्यंजनों में भी डाले जाते है | फूलों को भिगोकर तथा बारीक पीसकर आटे के साथ गूंध लिया जाता है, फिर इसकी पूड़ियाँ तली जाती हैं, जो बहुत मीठी तथा स्वादिष्ट बनती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार में इसका काफी प्रचलन है। महुए से कफ सीरप तथा दूसरी कई दवाइयां बनाई जाती हैं।

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