महिलाओं से जुड़ी वो पांच फिल्में जो आज तक नहीं हुई रिलीज

भारत में महिलाओं पर कई ऐसी फिल्में बनी हैं जो विवादों में रही हैं. इन फिल्मों ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. बोल्ड कंटेंट के कारण कई फिल्मों को बैन तक कर दिया गया. जानिए ऐसी ही फिल्मों के बारे में..

फिल्में

शेखर कपूर की महत्वाकांक्षी फिल्म बैंडिट क्वीन को अपने कंटेंट के चलते भारत की सबसे हार्ड हिटिंग और विवादित फिल्मों में शुमार किया जाता है. एक दलित महिला कैसे उच्च जाति के लोगों द्वारा गैंगरेप होने के बाद बैंडिट क्वीन बन जाती है, इसे फिल्म में दिखाया गया है. न्यूडिटी और तीव्र भाषा के चलते फिल्म काफी समय तक बैन रही थी. हालांकि इस दौर के कई डायरेक्टर्स और क्रिटिक्स इस फिल्म को भारत की माइलस्टोन फिल्म के तौर पर शुमार करते हैं.

अनफ्रीडम मॉर्डन डे थ्रिलर है जो लेस्बियन रिश्तों पर आधारित है. इस फिल्म में इस्लामिक आतंकवाद का भी बैकड्रॉप है. एक ही फिल्म में दो विवादित मुद्दों के चलते ही सेंसर बोर्ड ने अब तक इस फिल्म को रिलीज़ नहीं किया है. इसके अलावा फिल्म में लीड कास्ट के बीच न्यूडिटी और लवमेकिंग सीन्स भी हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के बाकी हिस्से में अब तक रिलीज़ नहीं हो पाई है.

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विवादित फिल्मों की कड़ी में वॉटर का नाम भी शुमार किया जाता है. इस फिल्म को डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने लिखा था और इस फिल्म में समाज से निष्कासित की गई महिलाओं और नारी द्वेष जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में बात की गई है. कई लोगों ने फिल्म के खिलाफ प्रोटेस्ट किया था और कहा था कि इस फिल्म ने भारत को दुनिया के सामने खराब रोशनी में प्रदर्शित किया है. कई राइट विंग एक्टिविस्ट्स ने फिल्म के सेट्स को नुकसान पहुंचाया था और फिल्म से जुड़े लोगों को मारने की धमकी भी दी थी. यहां तक की मेहता को अपनी शूट की लोकेशन वाराणसी से श्रीलंका शिफ्ट करनी पड़ी थी. उन्हें फिल्म की पूरी कास्ट को बदलना पड़ा था.

मीरा नायर द्वारा निर्देशित फिल्म कामासूत्र को भी सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया था. इस फिल्म को उसी देश में अश्लील और अनैतिक करार दिया गया था जहां से कामसूत्र की शुरुआत हुई.

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थी. ऐसे में इस फिल्म के साथ हुई त्रासदी को बड़ी विडंबना भी बताया गया था. 16वीं शताब्दी में चार प्रेमियों की दास्तां कहती इस फिल्म को क्रिटिक्स ने काफी सराहा लेकिन सेंसर बोर्ड ने उस दौर में भारतीय समाज को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाना बेहतर समझा था.

दीपा मेहता को भारत की सबसे प्रतिष्ठित निर्देशकों के तौर पर शुमार किया जाता है. उन्होंने फायर से क्रिटिक्स का समर्थन हासिल किया था लेकिन ये फिल्म सेंसर बोर्ड के गले नहीं उतर पाई और समलैंगिक रिश्तों पर आधारित इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया था. उनकी फिल्मों में अक्सर समलैंगिकता, पितृसत्ता, विधवाओं की परेशानियों जैसे लीक से हटकर कई मुद्दों को दिखाया जाता रहा है.

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