महाभारत के ये हैं कुछ ऐसे राज़ जिन्हें जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

महाभारत की कहानी तो हम सभी जानते हैं और कई बार देखी और सुनी भी होगी. कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन महाभारत की रचना शुरू हुई थी. इस कथा में ऐसी कई बातें हैं जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं महाभारत से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य जिसके बारे में शायद ही जानते होंगे आप.

 

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महाभारत के कुछ अनोखे रहस्य- एकमात्र कौरव हैं जो महाभारत के दौरान नहीं मरे थे. जी हाँ, युयुत्सु धृतराष्ट्र का ऐसा पुत्र था जो महाभारत युद्ध समाप्त होने के बावजूद बचा रहा. वहीं युयुत्सु का जन्म धृतराष्ट्र की पत्नी से नहीं हुआ था और वह दासी का बेटा था. दासी से युयुत्सु का जन्म हुआ और युयुत्सु की उम्र लगभग दुर्य़ोधन की उम्र के बराबर थी. कहा जाता है दुर्योधन ने द्रौपदी के स्वयंवर में भाग नहीं लिया था और इसकी वजह यह थी कि दुर्योधन का विवाह पहले से ही कलिंग की राजकुमारी भानुमती से हो चुका था और दुर्योधन ने अपनी पत्नी को वचन दिया था कि वह दोबारा किसी से विवाह नहीं करेगा इसलिए दुर्य़ोधन ने द्रौपदी के स्वयंवर में भाग नहीं लिया.

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इसी के साथ बहुत कम लोग जानते हैं कि सारे कौरव पांडवों के खिलाफ़ नहीं थे. जी हाँ, धृतराष्ट्र के पुत्र युयुत्सु और विकर्ण ने पांडवों के खिलाफ किये कौरवों के काम का विरोध किया था और उन्होंने भरे दरबार में द्रौपदी के चीरहरण का भी विरोध किया. इसी के साथ यह बात भी लोग नहीं जानते हैं कि द्रौपदी का भाई एकलव्य का अवतार था. जी हाँ, वैसे तो एकलव्य का जन्म वासुदेव के भाई देवाश्रव के यहां हुआ था लेकिन वे जंगल में खो गए थे और उनका पालन-पोषण एक निषाद हिरण्यधनु ने किया.

 

इसी के साथ एकलव्य बाद में जरासंध के यहां तीरंदाज़ी करते थे और जब कृष्ण रुक्मिणी को विवाह के लिए लेकर जा रहे थे तब जरासंध और शिशुपाल ने उनका पीछा किया. वहीं एकलव्य ने जरासंध का साथ दिया और कृष्ण ने एकलव्य का वध कर दिया. कहा जाता है एकलव्य की गुरू निष्ठा के कारण उसे एक नए अवतार का वरदान दिया और दूसरे जन्म में एकलव्य द्रौपदी के जुड़वां भाई के रूप में जन्में. उनका नाम धृष्टद्युम्न था.

 

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