मसूरी में पराम्परिक इगास बग्वाल की धूम

रिपोर्ट सुनील सोनकर  

मसूरी। मसूरी में षुक्रवार की देर षाम को गढवाल महासभा के तत्वाद्यान में पारम्परिकं वादय यंत्रों के साथ इगास बग्वाल त्योहार को मसूरी के षहीद स्थल पर प्रर्दषित किया वही जलते हुए भेलू को हाथ में लेकर कलाकरों के साथ पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, और पर्यटको ने जमकर पराम्परिक वाद्यय यंतों की धून में नृत्य किया। इस पर्व पर सबसे पहले स्थानीय देवताओं की पूजा की गई व उसके बाद घरों में पकवान आदि तैयार किए गए व लोगो के साथ देष विदेष से मसूरी आये पर्यटकों को परोसा गया।

मसूरी
पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने बताया कार्निवाल के दौरान देष विदेष से आये पर्यटको को अपनी सस्कृति को महत्व के बारे में बताने का प्रयास किया जा रहा है उन्होने कहा कि भगवान रामचद्र जी के बनवास से आयोध्या लौटने के बाद उत्तराखण्ड के पहाडी क्षेत्रो में करीब एक माह के बाद पता चला था जो ग्रामीणों में खुषी की लहर दौड गई जिसके स्वरूप ग्रामीण इस दिवस को बग्वाल के रूप में बनाते हुए अपनी पराम्परिक वेषभुषा में नाचते गाते नजर आये।

बग्वाल यानी दिपावली भी इसी का हिस्सा है गाव में रात्री में सभी लोग किसी खेत खलिहान पर जमा होने के साथ ही भैलो जो चीड़ की लकडिकां से बनी मशाल को घूमाते हुए नृत्य करते है। मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा की त्योहारों के पारंपरिक स्वरूप को बचाये रखने की दिशा में क्षेत्र में बग्वाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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जिससे स्थानीय लोगो के साथ पर्यटकों को अपनी संस्कृतिक के रूबरू करवाया जा सके और पर्यटन को बढावा मिल सके। वही उन्होने प्रदेष सरकार से इगास बग्वाल पर्व के प्रचार प्रसार के साथ इस दिन छुटटी घोशित करने की मांग की।

 

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