मारा गया मथुरा कांड का मास्‍टरमाइंड रामवृक्ष यादव

मथुरा में बवाललखनऊ। मथुरा में बवाल का मुख्‍य आरोपी रामवृक्ष यादव मारा जा चुका है। यूपी के डीजीपी जावीद अहमद ने उसकी मौत की पुष्टि कर दी है। डीजीपी ने बताया कि उसके शव की पहचान उसकी जान-पहचान के लोगों ने कर ली है। वहीं उसके परिवार को भी पहचान के लिए बुलाया गया है।

मथुरा में बवाल का जिम्‍मेदार रामवृक्ष कौन है

रामवृक्ष यादव  गुरूवार की देर शाम मथुरा में हुए खूनी खेल का मास्‍टरमाइंड बताया जा रहा था। यहां के जवाहरबाग में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम पर रामवृक्ष यादव और उसके लोगों ने हमला बोल दिया, जिसमें एसपी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव सहित 24 लोगों की मौत हो गई। कई लोग घायल भी हुए। झड़प में दंगाइयों ने पुलिस पर राइफल, हथगोले से हमला किया था। दंगाई पूरी तैयारी के साथ थे। यही नहीं पुलिस ने उस जगह से शुक्रवार को हथियारों का जखीरा बरामद किया था। मथुरा में बवाल के दौरान अतिक्रमणकारियों का नेतृत्‍व कर रहे रामवृक्ष यादव के भी मारे जाने की खबर पहले से ही मीडिया में थी है लेकिन आज यूपी के डीजीपी ने इसकी आधिकारिक रूप से पुष्टि कर दी है।

रामवृक्ष 15 मार्च 2014 में करीब 200 लोगों के साथ मथुरा आया था और इसने प्रशासन से यहां रहने के लिए दो दिन की इजाजत ली थी। लेकिन दो दिन बाद भी वो यहां से हटा नहीं। शुरुआत में वो यहां एक छोटी सी झोपड़ी बना कर रहता था, धीरे-धीरे यहां पर और झोपड़ियां बनीं, इसके बाद उसने 270 एकड़ में अपनी सत्ता चलाने लगा। वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था।

बता दें कि मथुरा में 2014 से लेकर 2016 तक इस पर 10 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। जिसमें पुलिस अधिकारयों पर हमला, सराकरी संपत्ति पर अवैध कब्जा शामिल है। विजयपाल तोमर नामक एक याचिकाकर्ता जब इसक कब्जे के खिलाफ कोर्ट गए तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खाली करने का आदेश दिया था। जिसके बाद मई में रामवृक्ष यादव इस आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज करते हुए 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था। लगातार तीन दिन से पुलिस इस जगह को खाली करने की घोषणा कर रही थी।  इस दौरान उसने शूटरों और अपराधियों को अपने कैंप में रखने लगा। मथुरा में बवाल के लिए उसने हैंड ग्रेनेड, हथगोला, रायफल, कट्टे, कारतूस जुटाए गए थे।

जयगुरुदेव का शिष्‍य भी रहा

रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है। उसने जयगुरुदेव के विरासत के लिए भी दावेदारी की कोशिश की थी। जानकारी के मुताबिक जयगुरुदेव के निधन के बाद विरासत के लिए तीन गुटों में टकराव हुआ। पंकज यादव और उमाकांत तिवारी के बीच टकराव हुआ और पंकज यादव उत्ताराधिकारी बना।

वहां समर्थन न मिलने पर रामवृक्ष अलग गुट बनाकर मथुरा के जवाहरबाग में 270 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। कहा जाता है कि 5 हजार लोग उसके लिए काम करते थे। उसी कहने के पर इस पूरी झड़प को हिंसक रुप से अंजाम दिया गया।

बरेली में भी कर चुका है बवाल

रामवृक्ष यादव और उनके समर्थकों ने करीब तीन साल पहले बरेली में भी बवाल किया था। बाबा जय गुरुदेव को जिंदा घोषित करने की मांग करने को लेकर रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में उनके समर्थकों ने प्रशासन से अनुमति लिए बिना रामलीला मैदान में आमसभा करने की कोशिश की थी। जब पुलिस ने सभा करने की अनुमति नहीं दी तो भीड़ लाठी डंडे लेकर बारादरी थाने में घुस गई और पुलिस पर हमला कर दिया था।इस मामले में रामवृक्ष समेत कई लोगों के खिलाफ बारादरी कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था। भीड़ ने तत्कालीन इंस्पेक्टर बारादरी को कॉलर पकड़कर खींच लिया था और चौकी प्रभारियों पर डंडे चलाने शुरू कर दिए। इसमें कई दरोगा और चौकी इंचार्ज घायल हुए थे। बाद में पुलिस ने भी जय गुरुदेव समर्थकों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। थाने में घुसे 23 समर्थकों को हवालात की हवा भी खानी पड़ी थी।

 

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