असली सेनापति वही जो रणनीति का खुलासा न होने दे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव यूपी की सियासत में एक बड़ा नाम है। वह उप्र में दोबारा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा तो करते हैं, लेकिन पार्टी के भीतर मचे घमासान को लेकर उनका दो टूक कहना है कि कुछ लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए आकाओं के कान भरते रहते हैं। वह कहते हैं, “सफल सेनापति वही होता है जो अपनी रणनीति का खुलासा न होने दे और ऐसे लोगों से पार्टी को बचाए रखे।”

सपा के कद्दावर नेता ने विशेष साक्षात्कार में पार्टी और परिवार के भीतर मचे घमासान को लेकर हर मुद्दे पर खुले दिल से बात की और सभी सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।

मंत्री शिवपाल सिंह

उन्‍होंने कहा कि मुझे किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। हां, सत्ता मिलने पर तमाम तरह के लोग जुड़ते हैं, जिनमें कुछ अच्छे होते हैं और कुछ बुरे। कोई कुछ भी कहता रहे, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें तो चलते जाना है और अपनी मंजिल तय करनी है।

आप संगठन में हमेशा ही महिलाओं, युवाओं की भागीदारी की बात करते हैं। आपकी पार्टी विधानसभा चुनाव में कितने प्रतिशत युवाओं व महिलाओं को टिकट देगी?

मंत्रिमंडल में वापसी को लेकर उन्‍होंने कहा कि अब चुनाव में समय ही कितना बचा है। सरकार में रहकर संगठन का काम प्रभावित होता है और मजबूत संगठन ही सरकार के कामों को लेकर जनता के बीच जाता है। इसीलिए इस समय मेरी प्राथमिकता अगली सरकार बनाना है। सरकार में रहते हुए मैंने अपने विभागों के माध्यम से विकास के काफी काम किए हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं है।

नोटबंदी पर उन्‍होंने कहा कि हमारी पार्टी कभी कालेधन के खिलाफ नहीं है। लेकिन जिस तरह अचानक बिना सोचे-समझे और तैयारी के इसे लागू किया गया, इससे सारे देश की जनता परेशान है। प्रधानमंत्री की इस योजना से मजदूर, किसान, गरीब और व्यापारी सभी लोग अपना काम छोड़कर लाइन में लगे हुए हैं, फिर भी किसी को अपना पैसा नसीब नहीं हो रहा है। लाइन में खड़े-खड़े बुजुर्ग लोग मर रहे हैं।

नोटबंदी से पूरा देश प्रभावित हो रहा है। हमारी पार्टी के पास कोई कालाधन नहीं है। इसीलिए हमारी पार्टी को इससे कोई नुकसान नहीं होगा।

शिवपाल सिंह यादव ने वर्ष 1988 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। 1988 से 1991 और फिर 1993 में इटावा जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1995 से लेकर 1996 तक वह इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 1994 में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला। 1996 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में वह इटावा की जसवंतनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। बसपा सरकार के समक्ष नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी भी वह संभाल चुके हैं।

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