भोपाल गैस त्रासदी में मौतों का आंकड़ा सामान्य से ज्यादा, फिर ताजा हुये घाव
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी की आबोहवा में एक बार फिर दिसंबर का माह आते ही यूनियन कार्बाइड की यादें ताजा होने लगी हैं। इस त्रासदी के 34 साल बाद भी पीड़ितों की तकलीफेंकम नहीं हुई हैं। बीमारियों और मौतों का सिलसिला जारी है। एक शोध में सामने आया है कि सामान्य लोगों की मौतों के मुकाबले गैस पीड़ितों की मौत का आंकड़ा 28 फीसदी ज्यादा है।
भोपाल गैस पीड़ितों के बीच काम कर रहे शोधार्थी और चिकित्सकों ने शनिवार को अपने शोध अध्ययन का ब्यौरा जारी कर बताया कि गैस पीड़ितों की स्थिति चिंताजनक है।
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. मृत्युंजय माली ने कहा, “गैस कांड में गंभीर रूप से प्रभावित बस्तियों के 2200 से अधिक व्यक्तियों और गैस कांड से अप्रभावित 953 व्यक्तियों पर शोध किया गया गया। इस शोध में पता चला कि पीड़ितों की मृत्यु दर अपीड़ितों कि तुलना में 28 प्रतिशत ज्यादा है।
शोध का निष्कर्ष यह भी दर्शाता है कि गैस पीड़ितों में कैंसर, टीबी, एवं फेफड़ों के रोगों की वजह से मौतों की दर अपीड़ितों की तुलना में दोगुनी हैं और किडनी खराब होने की वजह से गैस पीड़ितों की मौत अपीड़ितों की तुलना में तीन गुना ज्यादा हुई है।
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सामुदायिक शोधकर्मी तस्नीम जैदी ने कहा, “गैस पीड़ितों में अपीड़ितों की अपेक्षा 63 प्रतिशत लोग अधिक बीमार हैं। अपीड़ितों की अपेक्षा गैस पीड़ितों में सांस की तकलीफ , घबराहट, सीने में दर्द, चक्कर, जोड़ों में दर्द आदि समस्याएं ज्यादा पाई गई हैं।”
सामुदायिक शोधकर्मी फरहत जहां ने शोध के निष्कर्ष के आधार पर बताया, “गैस पीड़ितों में जारी मौतों के पंजीकरण की व्यवस्था होनी चाहिए। पीड़ितों में फेफड़े की बीमारियां, टीबी व अन्य बीमारियों की अधिकता को देखते हुए इलाज व्यवस्था की समीक्षा होनी चाहिए। गैस पीड़ितों को गुर्दे की खराबी से होने वाली मौत से बचाने के लिए हानिकारक दवाओं, खासकर दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल पर नियंत्रण होना चाहिए।”
ये सभी शोधार्थी और चिकित्सक संभावना ट्रस्ट क्लीनिक के लिए काम करते हैं। यह एक गैर सरकारी संस्था है जो पिछले 22 वर्षो से यूनियन कार्बाइड के जहरों से प्रभावित 33 हजार पीड़ितों का मुफ्त में इलाज उपलब्ध करवा रही है।