भारत में रोबोटिक इंजीनियरिंग का भविष्य उज्‍जवल

नई दिल्ली। दुनियाभर में रोबोट का जमकर इस्तेमाल हो रहा है तो वहीं भारत में भी रोबोटिक इंजीनियारिंग फलफूल रही है। एक अत्यंत बुद्धिमान अत्याधुनिक मशीन ‘रोबोट’ कारखानों में तैयार होकर अब दुकानों और घरों तक पैठ बना रहे हैं। इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए मौजूदा समय में शिक्षा जगत में रोबोटिक इजीनियरिंग को रोजगार की गारंटी माना जा रहा है। 

चिकित्सा, रक्षा, अंतरिक्ष, घरेलू कामों और मनोरंजन क्षेत्र में भी रोबोट का इस्तेमाल हो रहा है। भारत के बच्चे व युवा रोबोट संस्कृति के प्रति कितने आकर्षित हैं। इस बात का सबूत हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित विज्ञान एवं रोबोटिक्स सम्मेलन में देखने को मिला, जहां देशभर के 500 से अधिक स्कूलों के 25,000 बच्चों ने अपने बनाए अद्भुत रोबोट पेश किए।

रोबोटिक्स इंजीनियरिंग का भारत में क्या भविष्य है, यह पूछे जाने पर बच्चों के लिए रोबोट निर्माण में कार्यरत कंपनी आविष्कार के संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी तरुण भल्ला ने आईएएनएस को बताया, “भारत में रोबोटिक्स का भविष्य बहुत शानदार है, क्योंकि विज्ञान-प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में भारत अव्वल देशों में शामिल है। देश के कारखानों से लेकर कई शॉपिंग मॉलों में आपको रोबोट नजर आएंगे और इनकी मांग बढ़ती जा रही है।”

भारत में उन्नत शिक्षा और संसाधन की कमी क्या इस क्षेत्र की बाधा है, यह पूछे जाने पर वरुण ने कहा, “हां, मैं काफी हद तक इस बात से सहमत हूं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर ओर निराशा है। मैं जब अमेरिका में था तो देखता था कि बहुत सारे भारतीय छात्र वहां अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे पास प्रतिभा की कमी है। यहां के छात्रों में जुनून है। वे विज्ञान और तकनीक से प्रेम करते हैं। कमी है तो बस संसाधन और एक मंच की, और यह सम्मेलन हमारी एक छोटी सी कोशिश है।”

इस सम्मेलन में देशभर के कई स्कूलों के छात्रों ने खुद बनाए रोबोट्स प्रस्तुत किए।

दिल्ली के गोयनका पब्लिक स्कूल के सातवीं के छात्र केशव सोनी ने एक वजन उठाने वाला रोबोट बनाया है। मात्र 12 साल की उम्र में रोबोट बनाने वाले केशव ने बताया, “मुझे रोबोटिक्स में काफी रुचि है और मैं इसी में करियर बनाना चाहता हूं। मैंने डिफ्यूजर मिडल लेवल का रोबोट बनाया है जो एक क्रेन की तरह काम करता है। इसमें गियरिंग प्रणाली का उपयोग हुआ है, जिसे यह काफी वजन उठा सकता है। इसकी आर्म (भुजाएं) भी तेजी से गति करती हैं।”

अपनी रोबोट की खूबियां गिनाते हुए केशव कहते हैं, “अधिक वजनी सामान उठाने पर यह नीचे न जाए, जिसके लिए हमने इसके पीछे का वजन संतुलित रखा है, यही बात इस रोबोट को अन्य से अलग बनाती है। खास बात है कि पीछे अधिक वजन डालने पर यह अधिक तेज गति से काम करता है।”

गोयनका स्कूल के ही सातवीं कक्षा के छात्र विभांशु ने कहा, “मैंने मिडल लेवल का डिस्पोजर रोबोट बनाया है जो ट्रेल पर चलता है। इसमें कई तरह की ऐसे उपकरणों का उपयोग किया गया है जो इसकी गति को तेज करते हैं। इस रोबोट का मुख्य काम इसमें लगे हुक की सहायता से वस्तुओं को उठाना और उनका निस्तारण करना है।”

माइन्स डिटेक्टर रोबोट बनाने वाले दिल्ली पब्लिक स्कूल के पांचवीं कक्षा के सार्थक शर्मा ने कहते हैं, “मैंने अपने रोबोट में अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाए हैं, जिससे यह माइन्स मिलने पर खुद ब खुद रुक जाएगा और संकेत देना शुरू कर देगा।”

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रोबोट के अस्तित्व में आने के बाद से और इसकी बढ़ती लोकप्रियता पर अक्सर यह कहा जाता है कि यह इंसानों के रोजगार के लिए बड़ा खतरा है। इस पर वरुण भल्ला कहते हैं, “यह पूरी तरह सही नहीं है। यह सच है कि रोबोट के आने के बाद से इंसानों के रोजगार पर असर पड़ा है, क्योंकि रोबोट्स इंसानों की तुलना में अधिक तेजी से काम करते हैं और जोखिम की भी गुंजाइश कम रहती है, लेकिन इनसे मिलने वाली सहूलियत से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है।”

वह कहते हैं, “अगर रोबोट्स का आम लोगों के बीच सही तरह से प्रबंधन किया जाए तो संतुलन बनाना मुश्किल नहीं है। बात केवल प्रबंधन की है।”

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