
नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर विवाद बढ़ता जा रहा है। चीन बार-बार युद्ध की धमकी दे पीछे हटने की बात कह रहा है। वहीं इसके विपरीत भारत भी पीछे हटने को तैयार नहीं। भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव तो हमेशा से ही बना हुआ था। पर अब चीन की बार-बार मिलने वाली धमकी किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रही है। आशंका है की किसी भी पल भारत और चीन में युद्ध के आसार बन सकते हैं। इसे देखते हुए भारत अपनी शक्ति को मजबूती देने के प्रयास में है। भारत कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहता। बता दें भारतीय आर्मी ने पोखरन में अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपों का परीक्षण किया है, जिनकी तैनाती भारत-चीन सीमा पर की जाएगी।
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ख़बरों के मुताबिक़ भारत एवं अमेरिका ने बोफोर्स विवाद के साये से परे जाते हुए पिछले साल 145 एम 777 तोपों के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय आर्मी ने पोखरन में इन अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपों का परीक्षण किया है।
इस परीक्षण के जरिए इन तोपों की स्पीड, आवृत्ति और क्षमता का आकलन किया गया। इन तोपों का परीक्षण सितंबर तक जारी रहेगा।
1980 के दशक के मध्य में बोफोर्स घोटाले को लेकर छिड़े विवाद के बाद भारतीय सेना में लंबी दूरी की इन तोपों को शामिल करने को लेकर लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी।
जानकारी है कि सीमा पर बढ़ते विवाद को देखते हुए इन तोपों को अधिकतर चीन से लगने वाली सीमा पर तैनात किया जा सकता है।
भारतीय सेना में सम्मलित होने जा रही हॉवित्जर तोप बोफोर्स के मुकाबले बहुत हल्की हैं। जहां बोफोर्स तोप का वजन करीब 13 टन है वही हॉवित्जर का वजन चार टन ही है।
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हॉवित्जर तोप आधुनिक तकनीक से लैस है इसलिए इस ऑपरेट करने के लिए केवल चार-पांच सैनिकों की ही आवश्यकता होगी।
जहां बोफोर्स की मारक क्षमता 20—25 किलोमीटर है वहीं हॉवित्जर की मारक क्षमता 40 किलोमीटर तक बतायी जा रही है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार हॉवित्जर तोप से एक मिनट में पांच गोले दागे जा सकते है जबकि बोफोर्स तोप से इतनी समयावधि में केवल दो गोले ही दागे जा सकते है।
हॉवित्जर को हेल्किॉप्टर के माध्यम से आसानी से पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है। गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान के भारतीय सीमा पहाड़ी क्षेत्र में काफी दूरी तक है।
जानकारी के अनुसार भारत को मिलने वाली 145 हॉवित्जर तोप में से 25 तोप भारत को तैयार मिलेंगी जबकि बाकी का निर्माण भारत में ही किया जाएगा।
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