भारत-अमेरिका की दोस्ती से तिलमिलाया पाक
इस्लामाबाद| पाकिस्तान ने गुरुवार को भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंध पर चिंता जताई। एक शीर्ष अधिकारी ने अमेरिका पर पाकिस्तान को जब जरूरत हो, इस्तेमाल कर लेने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री कार्यालय में विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज का यह विस्फोटक बयान अमेरिका द्वारा एनएसजी में भारत की सदस्यता का अमेरिका के दृढ़ता के साथ समर्थन के बाद आया।
भारत को सहयोग पर अमेरिका को कोसा
अमेरिका का यह समर्थन मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की बैठक के दौरान मिला। उस समय दोनों देशों ने सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग बढ़ाने के समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। मीडिया को संबोधित करते हुए अजीज ने कहा, “अमेरिका को जब जरूरत रही पाकिस्तान के पास आया और जब उसे पाकिस्तान की जरूरत नहीं रही तो परित्याग कर दिया। अजीज ने कहा, “पाकिस्तान द्विपक्षीय रिश्तों के इस ताजा मुद्दे को लेकर अपनी चिंता से अमेरिका को अवगत कराएगा।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिकी अधिकारियों के बीच इस्लामाबाद में 10 जून को एक उच्चस्तरीय बैठक की योजना है।
उन्होंने कहा, “हमने अमेरिका को दृढ़ता के साथ सूचित कर दिया है कि पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए एक प्रभावशाली परमाणु निवारण को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है और केवल पाकिस्तान ही तय कर सकता है कि दक्षिण एशिया में बढ़ते रणनीतिक असंतुलन का जवाब किस तरह से देना है।” अजीज ने कहा कि पाकिस्तान भारत सहित अन्य देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने को तैयार है। अजीज के इस बयान के साथ ही पाकिस्तान ने परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) की सदस्यता पाने की भारत के प्रयास को रोकने के लिए इस समूह के सदस्यों के बीच अपने कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के संयुक्त राष्ट्र कोषांग ने बुधवार को एनएसजी सदस्य देशों के राजनयिक मिशनों को भारत की सदस्यता के खिलाफ अपनी दलील रखने और इस विशिष्ट समूह में अपने प्रवेश को लेकर विवरण पेश किया।
बैठक के दौरान पाकिस्तान ने चेतावनी दी कि किसी देश को खास छूट से दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।भारत और पाकिस्तान दोनों ने वैश्विक परमाणु व्यापार को नियंत्रित करने वाले 48 सदस्यीय एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन दिया है। भारत के प्रयास को अमेरिका सहित एनएसजी के कई प्रमुख सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, चीन पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। उसका कहना है कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत को यदि सदस्यता दी जा सकती है तो पाकिस्तान को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।