भाजपा को सताया गोवा का डर, शिवराज मध्‍यप्रदेश से नहीं हटेंगे

 शिवराज सिंह चौहानभोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिल्ली जाने की चल रही अफवाहों पर उन्‍ही की सरकार के मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने विराम लगा दिया है। गुप्ता ने कहा है कि प्रदेश को अभी चौहान की जरूरत है ऐसे में उन्‍हें वहां से हिलाने का सवाल ही नहीं उठता। शिवराज दिल्ली या कहीं और नहीं जा रहे हैं। मालूम हो कि गोवा में भाजपा की सरकार में मनोहर पार्रिकर के केंद्र में जाने के बाद भाजपा की पकड़ कमजोर हुई हैं और वहां कांग्रेस सबसे ज्‍यादा सीटें हथियाने में सफल हो गई थी। इसके बाद भाजपा ऐसे किसी भी प्रयोग से बचना चाह रही है।

मालूम हो कि सोशल इस तरह की खबरें जोर पकड़ रही थी कि शिवराजसिंह को केंद्र में मंत्री बनाकर लाया जा सकता है। खबरों में यह भी  दावा किया जा रहा था कि वह मनोहर पार्रिकर की जगह लेंगे। हालांकि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्‍व ने अभी तक कुछ भी साफ साफ नहीं कहा है। लेकिन प्रदेश सरकार के राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने पूरी तरह से साफ कर दिया है कि सिंह कहीं नहीं जा रहे हैं। वह प्रदेश की कमान संभाल रहे हैं और आगे भी संभालेंगे। प्रदेश को अभी उनकी जरूरत है।

शिवराज के एमपी में रहने के तीन कारण

पहला शिवराज की छवि प्रभावशाली है। मध्यप्रदेश में लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। जमीनी पकड़ है। हर चुनाव जीत रहे हैं। ऐसे में उन्हें हटाकर पार्टी कोई बड़ा संकट नहीं झेलना चाहती है।

दूसरा कारण  मध्यप्रदेश में पिछले चार साल में जितने भी उप चुनाव हुए, चाहे वो संसदीय सीट पर हों या फिर विधानसभा सीट पर,  उनका

मैजिक असर किया है। इस सभी चुनावों में भाजपा को जीत हासिल हुई।

तीसरा कारण एमपी में सीएम पद संभालते हुए 11 साल से अधिक का समय हो चुका है। छोटे से छोटे कार्यकर्ता के बीच पैठ है। ऐसे में उनकी सत्ता और संगठन में मजबूत पकड़ है। यहां पर पार्टी किसी नए नेता को लाकर इस समन्वय को खराब नहीं करना चाहेगी।

गोवा की तरह मध्‍य प्रदेश में जनाधार खिसकने का डर

शिवराज ​सिंह को प्रदेश से बाहर लाने का सबसे बड़ा खतरा दूसरा गोवा तैयार करने जैसा होगा। ऐसा पार्टी के भीतर एक बड़े वर्ग की राय है। उसका मानना है कि पार्टी मध्यप्रदेश में मजबूत है और वहां पर शिवराज का विरोध भी नहीं है। ऐसे में शिवराज को वहां से हिलाकर पार्टी को संकट में डालने का कोई औचित्य ही नहीं है। यही वजह है कि पार्टी अभी शिवराज सिंह चौहान को अस्थिर नहीं करना चाह रही है। मध्यप्रदेश में जिस तरह से कांग्रेस नेता एकजुट हुए हैं। उस खतरे को भांप रही पार्टी जानती है कि कांग्रेस नेताओं से लड़ने का विकल्प शिवराज हैं।

पहले ही लगी है ऐसी अटकले

चौहान के दिल्ली जाने की यह अफवाह पहली बार सामने आई है। ऐसा नहीं है इससे पहले भी कई मौकों पर उनके अस्थिर होने की चर्चाएं हुई हैं। लेकिन वह सभी चर्चाएं हकीकत नहीं बनी। बिहार चुनाव के समय भी तेजी से अफवाह आई थी कि चुनाव पूरे होने के बाद दिल्ली बुलाया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

सामने हैं  दो उपचुनाव

पार्टी के सामने अभी प्रदेश में दो महत्वपूर्ण उपचुनाव भी हैं। अटेर और बांधवगढ़ में विधानसभा उपचुनाव अप्रैल में होने जा रहे हैं। यह दोनों ही चुनाव प्रदेश सरकार और भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसी सि्थत में पार्टी कोई भी रिस्क लेकर चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के लिए मुसीबत मोल लेना नहीं चाहती है।

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