भविष्यवाणी : शुरु होने वाले हैं मोदी के ‘बुरे दिन’
बुलधाना (महाराष्ट्र)। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक बड़ी भविष्यवाणी का खुलासा हुआ था। यह भविष्यवाणी 16वीं सदी के फ्रेंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने की थी। नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में बताया था कि एशिया में 21वीं सदी में एक महान नेता का जन्म होगा, जिसे पहले तो लोग पसंद नहीं करेंगे लेकिन बाद में वो सबका चहेता बन जाएगा।
भविष्यवाणी : नास्त्रेदमस के बाद दूसरी
वहीं अब पीएम मोदी को लेकर एक और भविष्यवाणी सामने आई है। यह भविष्यवाणी महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के भविष्यवक्ताओं ने की है। इस भविष्यवाणी में मोदी को लेकर कहा गया है कि आने वाला समय देश और पीएम के लिए बेहद कठिनाइयों भरा साबित होने वाला है। आने वाले समय में जहां पीएम मोदी को अपने विरोधियों और राजनीतिक साजिशों से जूझना पड़ेगा वहीं देश में वित्तीय संकट भी बढ़ेगा। इस दौरान देश को कई तरह की महामारियों का भी सामना करना पड़ेगा।
महाराष्ट्र के बुलधाना जिले में जलगांव जामोद तहसील के भेंडवाल गांव में भविष्य बताने की ये परंपरा लगभग 350 साल पुरानी है। 350 साल पुरानी इस प्रथा को घाट मंदानी के नाम से जाना जाता है। इस पर लोग आज भी विश्वास करते हैं। इस विधा के जानकार बताते हैं कि विरोधी दल पीएम मोदी की छवि बिगाड़ने की पूरी कोशिश में लगे रहेंगे। हालांकि इस सबके बीच उन्होंने ये भी कहा कि मोदी सरकार पर किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं आए और न ही किसी भी तरीके से जल्द चुनाव के भी कोई संकेत हैं।
आखिर क्या है घाट मंदानी प्रथा
इस प्रथा की शुरुआत आज से करीब 350 साल पहले चंद्रभान महराज ने की थी। इस प्रथा में घी, अनाज और तिलहन सहित कई तरह की खाद्य सामग्रियों से भरे 18 मटके अक्षय तृतीया की शाम को जमीन में एक अडांकार गड्ढे में दबा दिए जाते हैं। रात भर उन्हें इसी गड्ढे में रहने दिया जाता है और अगले दिन की सुबह इन्हें बाहर निकालते हैं, और देखते हैं कि उन पर रात भर में प्रकृति का कैसा असर हुआ है। इसी के बाद देश और समाज से जुड़ी भविष्यवाणी की जाती है।
इस प्रथा के जरिए भविष्य बताने वाले भविष्यवक्ता चंद्रभान महराज के परिवार से ही होते हैं। वर्तमान में उनके उत्तराधिकारी शारंगधर और पंजाजी महराज इस प्रथा के जरिए भविष्यवाणी करते हैं। आसपास के कई गांवों के किसानों ने उन्हें महाराज की उपाधि दे रखी हैं। ये किसान उनकी भविष्यवाणी पर विश्वास करते हैं और उसी के हिसाब से अपने अगले साल की तैयारियां करते हैं। शारंगधर और पंजाजी महाराज अपने आप को प्रकृति का मूड बताने वाला मानते हैं।