इस मंत्र में है इतनी ताकत, एक बार बोलने से ही दूर होती है बड़ी से बड़ी बाधा

भगवान गणेशभारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता।कोई उनकी आराधना किए बिना कार्य शुरू भी कर देता है तो किसी न किसी प्रकार के विघ्न आते ही हैं। हम सभी जानते है कि भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता है। यदि सभी नियम पूर्वक गणेश जी के दस नामों का जप करें तो जीवन में आनेवाली हर छोटी-बड़ी समस्या का निवारण हो सकता है।

आइए जानते हैं श्री गणेश के द्वादश नाम स्तोत्र और उसकी साधना विधि-

सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।

लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥

धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।

द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥

विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।

संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥

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मंत्र का अर्थ :-

सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र और गजानन इन बारह नामों के पाठ करने व सुनने से छः स्थानों विद्यारम्भ, विवाह, प्रवेश(प्रवेश करना), निर्गम​(निकलना), संग्राम और संकट में सभी विघ्नों का नाश होता है।

साधना विधि:

प्रात: स्नान करके भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर के सामने पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुख रखकर स्वच्छ आसन पर बैठ जाये। इसके बाद दीपक जलाकर गणेश जी की चंदन, पुष्प, धूप और मोदक द्वारा पूजन करें। फ़िर इस द्वादश नामो के मंत्रोच्चार के साथ दुर्वा चढ़ाकर गणेशजी को अपनी समस्या के निवारण हेतु प्रसन्न करें।

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