बैड बैंक के खिलाफ बैंककर्मियों की हड़ताल मंगलवार से

बैड बैंकचेन्नई। ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवालों बड़े कर्जदारों को राहत देने के लिए नई संस्था (बैड बैंक) का गठन करने की बजाय, उनसे कर्ज की वसूली और दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई किए जाने की मांग करते हुए, मंगलवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने सोमवार को बताया, “भारतीय बैंकिंग उद्योग को असली खतरा डूबे हुए बड़े कर्ज और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवालों में बढ़ोतरी से है। बुरे कर्जो के लिए जबावदेही तय करना तथा जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले कर्जदारों तथा उन्हें कर्ज मुहैया करानेवालों बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना, समय की जरूरत है, ना कि बैड बैंक का गठन करना।”

यह यूनियन बैंकों के संयुक्त यूनियन (यूएफबीयू) का हिस्सा है। संयुक्त यूनियन में 9 बैंक यूनियनें शामिल हैं, जिसने हड़ताल का आह्वान किया है। वेंकटचलम ने कहा कि सभी 9 यूनियनों के अधिकारी व कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होंगे।

आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में ‘बैड बैंक’ की स्थापना का सुझाव दिया गया था, ताकि बैंकों के फंसे हुए कर्जो (जिसे गैर निष्पादित परिसंपत्तियां कहा जाता है) से निपटा जा सके।

इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार एक संपत्ति पुर्नवास एजेंसी का गठन करें, जो फंसे हुए कर्जो को बैंकों से खरीद कर उसका बोझ उठाए, ताकि बैंकों के कर्ज का बोझ कम करने का कठिन राजनीतिक फैसला लिया जा सके।

वेंकटचलम के अनुसार यह एक सरकारी संस्था के फंसे हुए कर्जो को दूसरी सरकारी संस्था का गठन कर उसके सिर मढ़ने के अलावा कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियां अत्यधिक रियायती दर पर बुरे ऋण को खरीदती हैं और कई मामलों में तो फंसे हुए कर्ज का महज 10 फीसदी भुगतान करती है, बाकी भुगतान करने में सालों गुजर जाते हैं।

वेंकटचलम ने कहा, “ऐसा तरीका बैंकों के लिए उपयोगी नहीं होगा। कुछ साल पहले आईडीबीआई बैंक के 9,000 करोड़ रुपये के फंसे हुए कर्ज को एक ‘बुरा कर्ज तनावग्रस्त परिसंपत्ति स्थिरीकरण कोष’ में स्थानांतरित किया गया था। अब आईडीबीआई बैंक का एनपीए बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।”

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