बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों का होगा घर पर ही इलाज, मजदूर दिल्ली छोड़कर न जाएं-अरविंद केजरीवाल

दिल्ली।  देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. लेकिन राज्य सरकारें अपनी पूरी कोशिश कर रही है. इन हालातों को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने कई फैसले लिए हैं. मजदूरों और कोरोना वॉरियर्स के लिए भी सुविधाएं दी जा रहीं हैं. अब दिल्ली के हालातों से सभी वाकिफ़ हैं. दिल्ली में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तमाम तरह की जानकारियां दीं. उन्होंने बताया कि जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे उनका घर में ही इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कुल मरीजों में से गंभीर और मृतकों की संख्या बहुत कम है. केजरीवाल ने कॉन्फ्रेंस में बताई यह महत्वपूर्ण बातें-

-दिल्ली में अब तक 2069 मामले ठीक होकर वापस जा चुके हैं,4781 लोग अभी भी इलाजरत हैं और 73 मरीजों की मौत हो चुकी है।

-मृतकों में से 82 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक उम्र के थे।

-1476 मरीज केवल अस्पताओं के अंदर हैं। बाकी सारे मामले या तो कम लक्षण या बिना लक्षण वाले हैं। इनमें से 51 आईसीयू और 27 वेंटीलेटर पर हैं।

-जो लोग कम या बिना लक्षण वाले हैं उनके घरों मे ही इलाज करने के इंतजाम किए गए हैं। अगर उनके घरों में अलग कमरे हैं और व्यवस्था है तो उन्हें घरों में ही आइसोलेट किया गया है।

-जिनके घरों में व्यवस्था नहीं है, उनके लिए हमने कोविड सेंटर बनाए हैं।

-अब तक एंबुलेंस सेवाओं में दिक्कतें हो रही थीं, इसलिए कई निजी अस्पतालों के एंबुलेंस को भी सरकारी सेवाओं में शामिल किया गया है। इससे उम्मीद है कि एंबुलेंस की समस्या खत्म हो जाएगी।

-कोरोना वॉरियर्स के लिए जो भी संभव हो वह हम कर रहे हैं। उनके लिए राजीव गांधी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के साथ कुछ होटलों को भी अटैच किया गया है, ताकि उन्हें सुविधाएं मिल सकें।

-शुक्रवार को कोरोना वॉरियर्स के लिए जारी किए गए विशेष सुविधाओं के आदेश का विपक्षी दलों के नेताओं ने मजाक उड़ाया। इससे मुझे बहुत दुख हुआ। कोरोना वॉरियर्स के लिए अगर विशेष व्यवस्था की गई है तो विपक्ष को क्या तकलीफ है। यह समय राजनीति करने का नहीं है। एक साथ मिलकर लड़ने और एक दूसरे का साथ देने की जरूरत है। मेरी अपील है कि राजनीतिक बयानबाजी न करें।

-पलायन कर रहे मजदूरों से मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपील है कि वे दिल्ली छोड़कर न जाएं। अगर बहुत मजबूरी है तो थोड़ा इंतजार करें, हम आपकी जिम्मेदारी लेते हैं। हम केंद्र सरकार और अन्य राज्यों की सरकारों से बातें कर आपके जाने की व्यवस्था कर रहे हैं। मजदूरों की दुर्दशा देखकर बहुत दुख होता है। ऐसा लगता है कि हम फेल हो गए हैं, सरकार फेल हो गई है और पूरी व्यवस्था फेल हो गई है।

 

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