CBI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- आडवाणी, जोशी,कल्‍याण समेत 13 नेताओं पर चले ट्रायल

बाबरी मस्जिदनई दिल्ली। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में सीबीआई ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का ट्रायल चलना चाहिए।

जांच एजेंसी ने कहा कि लखनऊ की स्पेशल कोर्ट के साथ रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले का भी ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट की साजिश की धारा को हटाने के फैसले को रद्द किया जाए।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि महज टेक्नीकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं मिल सकती और उनके खिलाफ साजिश का ट्रायल चलना चाहिए।

साथ ही सर्वोच्च अदालत ने पूछा था कि बाबरी केस के मामले दो अलग अलग कोर्ट में चलने के बजाय मामले की सुनवाई एक ही अदालत में क्यों न हो?

कोर्ट ने पूछा था कि रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाये। जहां कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है।

वहीं लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया। कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है। कोर्ट को साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए।

 

क्या है मामला

-1992 में बाबरी मस्जिद गिराने को लेकर दो FIR 197 और 198 दर्ज हुईं

– 197 कार सेवकों के खिलाफ दर्ज

– जबकि 198 मस्जिद से 200 मीटर दूर मंच पर मौजूद नेताओं के खिलाफ दर्ज की गई

– यूपी सरकार ने 197 के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से इजाजत लेकर ट्रायल के लिए लखनऊ में दो स्पेशल कोर्ट बनाई

– जबकि 198 के लिए रायबरेली की कोर्ट में मामला चला

– 197 केस की जांच सीबीआई को दी गई जबकि 198 की जांच यूपी सीआईडी ने की।

– 198 के तहत रायबरेली में चल रहे मामले में नेताओं पर 120 B FIR में नहीं था लेकिन 13 अप्रैल 1993 में पुलिस ने चार्जशीट में आपराधिक साजिश की धारा जोड़ने की कोर्ट में अर्जी लगाई। कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी।

– इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई जिसमें मांग की गई कि रायबरेली के मामले को भी लखनऊ स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए

– लेकिन 2001 में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में ज्वाइंट चार्जशीट भी सही है और एक ही जैसे मामले हैं

– लेकिन रायबरेली के केस को लखनऊ ट्रांसफर नहीं किया जा सकता क्योंकि राज्य सरकार ने नियमों के मुताबिक 198 के लिए चीफ जस्टिस से मंजूरी नहीं ली

– केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। पुनर्विचार और क्यूरेटिव पेटिशन भी खारिज कर दी गई।

– रायबरेली की अदालत ने बाद में सभी नेताओं से आपराधिक साजिश की धारा हटा दी।

– इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 मई 2010 को आदेश सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

– 2011 में करीब 8 महीने की देरी के बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी

– 2015 में पीडि़त हाजी महमूद हाजी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की।

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