70 साल बाद अमेरिका मानेगा अपनी सबसेे बड़ी गलती

बराक ओबामाटोक्यो| अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा शुक्रवार को अपने जापान दौरे के तहत हिरोशिमा पहुंच गए हैं। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए अमेरिका के किसी राष्ट्रपति का पहला यह जापान दौरा है। ओबामा हिरोशिमा के परमाणु बम विस्फोट में बचे लोगों से मिल सकते हैं।

हिरोशिमा वही जगह है, जहां द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अगस्त 1945 में दुनिया का पहला परमाणु हमला हुआ था। इसमें डेढ़ लाख लोग मारे गए थे। इस हमले को अमेरिका ने ही अंजाम दिया था।

बराक ओबामा का जापान दौरा

ओबामा ने हिरोशिमा आने से पूर्व इवाकुनी मरीन एयर स्टेशन की यात्रा के दौरान कहा, “यह द्वितीय विश्वयुद्ध में जान गवाने वाले सभी लोगों की स्मृति को सम्मानित करने का अवसर है। यह शांति व सुरक्षा पाने और एक ऐसा विश्व पाने की कोशिश करने का मौका है, जहां परमाणु हथियारों की जरूरत न पड़े।”

जापान के अधिकारियों ने शुरुआत में तो ओबामा के इस दौरे का विरोध किया था, लेकिन अप्रैल में अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी के जापान आने के बाद ओबामा के दौरे की राह तैयार हुई।

इससे पहले, ओबामा ने जापान में जी7 शिखर सम्मेलन के संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “परमाणु बम गिराना व परमाणु हथियारों का सूत्रपात करना आधुनिक इतिहास में एक संक्रमण बिंदु है।”

हिरोशिमा पर परमाणु हमला

अमेरिकी वायु सेना ने 6 अगस्त 1945 की सुबह जापान के हिरोशिमा शहर पर ‘लिटिल बॉय’ नामक परमाणु बम गिराया था। इसके ठीक तीन दिन बाद अमेेरीका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर “फ़ैट मैन” नाम का परमाणु बम गिराया था।

हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को अमेरीका पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के सन्दर्भ में “लिटिल ब्वाय” और नागासाकी के बम को विन्सटन चर्चिल के सन्दर्भ में “फ़ैट मैन” कहा जाता है।

मानव इतिहास में पहली बार हुए इस परमाणु हमले में करीब डेढ़ लाख लोग मारे गए थे| इस बम के गिरते ही शहर के 30 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई थी|

हमले के इतने सालों बाद भी जापान के लोग उस परमाणु बम का बुरा प्रभाव झेल रहे हैं| सत्तर साल बीत जाने के बाद भी इस इलाके में फैले विकिरण के कारण अधिकतर बच्चे विकलांग पैदा होते हैं।

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