बंगाल के चुनावी युद्ध में अहम है फुरफुरा शरीफ दरगाह की दुआ! जानिए इस बार किसको मिल रहा साथ

कोलकाता से तकरीबन 40 किलोमीटर दूरी पर हुगली जिले के जंगीपाड़ा इलाके में स्थित फुरफुरा शरीफ दरगाह आस्था की डोर से जुड़े लाखों मुसलमानों का पवित्र स्थल है। यहां बंगाल ही नहीं देश के कोने-कोने से प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत और सजदा के लिए आते हैं। यह स्थान लाखों बांग्लाभाषी मुसलमानों की भी प्रमुख आस्था का केंद्र है।

इस दरगाह पर आकर दुआ मांगने वाले लाखों श्रद्धालु फुरफुरा शरीफ के पीरजादा पर भी अपनी आस्था कायम किये हुए हैं। इतिहास इस बात का गवाह है कि साधारण लोगों के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी इस जगह पर हाजरी लगाने में पीछे नहीं हैं। हालांकि जब के एआईएमआईएम के प्रमुख व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पिछले रविवार को अचान यहां आकर पीरजादा और प्रमुख मुस्लिम धार्मिक नेता अब्बास सिद्दीकी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति पर चर्चा की उसके बाद से इस स्थल का नाम बंगाल की सियासत में गूंजने लगा है।

बीते सप्ताह अब्बास सिद्दिकी के साथ असदुद्दीन ओवैसी की मुलाकात ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है। ज्ञात हो कि सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलन के समय में भी फुरफुरा शरीफ के पीरजादाओं की दुआ तृणमूल सुप्रीमों ममता बनर्जी के साथ में थी। पीरजादाओं की दुआ के बाद ही ममता बनर्जी 2011 में सीएम बनी थीं। यही नहीं 2016 में भी चुनाव के बाद वह प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थीं।

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